तुलसी विवाह की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह की पूजा करने से कन्यादान के समान लाभकारी फल मिलता है। विशेषकर विवाहित महिलाओं को तुलसी विवाह की पूजा करनी चाहिए। इससे वैवाहिक रिश्ते में मजबूती आएगी और जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। वहीं, हर साल कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को होगी. जानिए तुलसी विवाह करने की सही और पूरी विधि और शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह पूजा शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत: 22 नवंबर, रात 11 बजकर 03 मिनट
कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 23 नवंबर, रात 09 बजकर 00 मिनट
तुलसी विवाह मुहूर्त: शाम 05:26 – रात 08:46 तक

तुलसी विवाह विधि

सबसे पहले पूजा स्थल पर मंडप को गन्ने से सजाएं। तुलसी जी के गमले को गेरू और फूलों से सजाएं। अब शाम के समय शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह पूजा शुरू करें। एक साफ लकड़ी का स्टूल रखें, उस पर गंगाजल छिड़कें और आसन बिछाएं। अब कलश को पवित्र जल से भरें, उसमें आम के पत्ते डालें और पूजा स्थल पर रख दें। फिर एक आसन पर तुलसी जी और दूसरे आसन पर शालिग्राम जी को रखें और तुलसी जी और शालिग्राम जी को गंगा जल से धो लें। भगवान शालिग्राम को पीले फूल, वस्त्र और फल चढ़ाएं और फिर पीला चंदन का तिलक लगाएं। तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी, बिंदी और सिन्दूर आदि श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और लाल चंदन का तिलक लगाएं। अब अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं. अब शालिग्राम जी स्तंभ को हाथ में लें और तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करें. पूरी श्रद्धा से तुलसी जी और शालिग्राम जी की आरती करें। – अब खीर, सूखे मेवे या मिठाई का भोग लगाएं. आप चाहें तो विष्णु सहस्त्रनाम या तुलसी चालीसा का पाठ करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करना न भूलें।

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