रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के तहत मतदान का कार्य तो संपन्न हो चुका है, मगर इसके नतीजे के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। 3 दिसंबर को मतगणना होने जा रही है, तब तक राजधानी रायपुर से लेकर गांवों तक जीत-हार पर बयानबाजी चल रही है और लोग इसे लेकर शर्त लगाने में भी जुटे हुए हैं।

प्रदेश में मतदान के बाद जीत हार को लेकर दावे प्रतिदावे किए जा रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस के पक्षों के अपने दावे इस हद तक हैं कि लोगों के बीच झगड़े होने लगे हैं और लोग आपस में शर्त भी लगा रहे हैं, जबकि ऐसा करना कानूनन गलत होता है। इसी से जुड़ा एक वाकया हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें सार्वजनिक तौर पर शर्त लगाकर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को अदालत के पचड़े में परेशान होना पड़ा था।

आईपीएल मैच के दौरान लगी थी शर्त

राजधानी रायपुर के परसदा स्टेडियम में 28 अप्रैल 2013 को दिल्ली डेयरडेविल्स और पुणे वारियर्स के बीच मैच हुआ था। इसमें दिल्ली की टीम को जीत मिली थी। इसे देखने के लिए सीएम डॉ. रमन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी दोनों गए थे। मैच के बाद 29 अप्रैल को 2013 को पूर्व सीएम के जन्मदिन की पार्टी में दोनों नेता एक बार फिर मिले। इस दौरान जोगी ने सौ रुपए का नोट निकालकर डॉ सिंह को देते हुए कहा था कि मैच को लेकर उनके और डॉ. सिंह के बीच शर्त लगी थी, जो वह हार गए हैं और राशि लौटा रहे हैं।

अधिवक्ता ने कर दी शिकायत

शर्त लगाने का मामला सार्वजनिक होने पर अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने पहले दोनों के खिलाफ थाने में शिकायत की। शिकायत स्वीकृत नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत याचिका लगाई। इस पर कोर्ट ने मामले को पुलिस को लौटाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा था। इस पर प्रार्थी अधिवक्ता ने आपत्ति की थी। इसके बाद उन्होंने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रतिभा मरकाम के कोर्ट में 29 अक्टूबर 2015 पुन: याचिका लगाई।

सट्टा एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग

इस याचिका में अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने राज्य के दो आइकन के बीच शर्त लगने से राज्यवासियों पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताते हुए दोनों के खिलाफ सट्टा एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की थी। प्रमाण स्वरूप शर्त की राशि लौटाने का उल्लेख करने वाली तस्वीर और उससे संबंधित समाचार की प्रतिलिपियों को प्रस्तुत किया गया था। हालांकि सुनवाई के बाद आईपीएल मैच के दौरान सीएम डॉ रमन सिंह और पूर्व सीएम अजीत जोगी के बीच हार-जीत को लेकर लगी सौ रुपए की शर्त वाले प्रकरण को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

यहां तो स्टांप पेपर पर लग गई शर्त

ये तो रही प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की शर्त लगाने की कहानी। वर्तमान में चुनाव को लेकर सट्टा बाजार तो गर्म है ही, लोग अपने दावे-प्रतिदावे को लेकर शर्त भी लगाने लगे हैं। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में दो लोगों ने हार-जीत को लेकर एक लाख रूपये की शर्त लगाई है और बाकायदा स्टाम्प पेपर पर शर्तमाना तैयार किया है। हालांकि यह कानूनन मान्य नहीं है।

क्या है स्टांप पेपर में..?

स्टांप पेपर में तैयार शर्तनामा में धनीराम भलावी और नीरज मालवीय के हवाले से लिखा गया है कि मैं धनीराम भलावी पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत सुखपूरा निवासी पडरभता जो कि नीरज मालवीय निवासी वार्ड क्रमांक 8 हर्रई में रहने वाले से शर्त लेता हूं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी। और नीरज मालवीय का कहना है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो नीरज मालवीय, धनीराम भलावी को शर्त बतौर ₹1,00,000 (एक लाख रुपए) देगा। इसका चेक अमित पांडे निवासी हर्रई वालों के पास जमा रहेगा। और यदि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो धनीराम भलावी नीरज मालवीय को शर्त बतौर ₹1,00,000 (एक लाख रुपए)देगा। जो कि शर्त के मुताबिक जो शर्त जीतता है वह व्यक्ति अपना चेक अमित पांडे से प्राप्त कर लेगा।

गवाहों ने भी किये हस्ताक्षर

इस शर्तनामा में पांच गवाहों ने हस्ताक्षर भी किए हैं, जिसमें अमित पांडे, हरिओम सूर्यवंशी, प्रिंस साहू, दुर्गेश सरपंच तेंदूखेड़ा मुकेश चौकसे शामिल हैं। इसके अलावा दोनों शर्त करने वाले धनीराम भलावी और नीरज मालवीय के हस्ताक्षर भी किए गए हैं।

शर्त को नहीं है कानूनी मान्यता

बता दें कि कानूनन इस दस्तावेज का महत्व शून्य है, क्योंकि कानून के नियम के अनुसार बाजी की संविदा शून्य होती है। वैसे इस तरह की शर्त अगर सार्वजनिक तौर पर लगा ली जाये तो लोग क़ानूनी पचड़े में भी फंस सकते हैं। राजकुमार गुप्ता जैसे जागरूक अधिवक्ता आपको अदालत के कटघरे में भी खड़ा कर सकते हैं।

बहसबाजी से परेशान व्यवसायी ने उठाया ये कदम…

छत्तीसगढ़ में चुनाव परिणामों को लेकर इतनी बेसब्री से इंतजार हो रहा है कि बैठे-ठाले लोग केवल बहसबाजी में लगे हुए हैं। नतीजे तीन दिसंबर को आने हैं। अपनी-अपनी पार्टी और नेताओं में चुनावी बहस चालू हो जाने से त्रस्त मुंगेली विधानसभा के शहर स्थित पड़ाव चौक में महावीर पान सेंटर के संचालक ने बकायदा अपनी दुकान के बाहर एक पोस्टर टांग दिया है, जिसमें लिखा है “तीन दिसम्बर का इंतज़ार करें, राजनीतिक बहसबाजी करके अपना और हमारा समय ख़राब न करें।”

महावीर सिंह का कहना है कि उसके पान दुकान और लगे हुए चाय दुकान में रोज नये-नये लोगों के बीच अलग चुनावी विश्लेषण किया जाता है और अंत में मामला विवाद तक जा पहुंचता है। इससे उनकी दुकानदारी भी प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि उन्होंने दुकान में पोस्टर लगाकर चुनावी चर्चा से मना किया है।

तो कीजिये थोड़ा इंतजार और धैर्य रखिये, आपस में बहसबाजी और शर्त लगाने से बेहतर है कि 3 दिसंबर तक अपने बचे हुए काम निपटा लें क्योंकि उस दिन चुनाव परिणाम आएंगे, और फिर सरकार बनेगी, सरकार में कौन-कौन मंत्री बनाये जायेंगे, किसे क्या विभाग मिलेगा, इन मुद्दों पर भी तो आपकी अपने दोस्तों से सियासी चर्चा जारी रहेगी।