कमलनाथ ने हाईकमान को दी सफाई, बताया कैसे चुने नेता प्रतिपक्ष

नई दिल्ली । मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव लड़े सभी पार्टी प्रत्याशियों से चुनाव की पूरी समीक्षा कर वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण करने को कहा है कि वे क्यों हारे और क्यों जीते। सभी प्रत्याशियों से 15 दिसंबर तक अलग-अलग रिपोर्ट भेजने को कहा है। इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे को सौंपा जाएगा।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में हुई इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, दिग्विजय सिंह समेत राज्य के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में मध्यप्रदेश के नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।

इससे पहले बुधवार को कमलनाथ ने प्रत्याशियों से हार-जीत की रिपोर्ट दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपी। इस दौरान राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव लड़े सभी पार्टी प्रत्याशियों से चुनाव की पूरी समीक्षा कर वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण करने को कहा है कि वे क्यों हारे और क्यों जीते। सभी प्रत्याशियों से 15 दिसंबर तक अलग-अलग रिपोर्ट भेजने को कहा है। इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे को सौंपा जाएगा।

कमलनाथ हुए 75 पार, नए चेहरे को मिल सकता है मौका

अब तक मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. गोविंद सिंह भी चुनाव में हार गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे, इस बात की संभावना भी बहुत कम है। ऐसे में दोनों पदों पर जातीय समीकरण के आधार पर नए चेहरों की नियुक्ति की संभावना ज्यादा है, क्योंकि चार महीने बाद लोकसभा चुनाव है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी फैसला लेगी।

पार्टी के पुराने इतिहास को देखते हुए कहा जा सकता है कि कमलनाथ भी प्रदेश कांग्रेस के पद से इस्तीफा दे सकते है। 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राधाकिशन मालवीय, सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया ने भी इस्तीफा दिया था। 2023 विधानसभा चुनाव में हार के बाद कमलनाथ के इस्तीफे की संभावना प्रबल हो गई है। कमलनाथ की उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। जिस तरह से विधानसभा चुनाव में हार हुई है ऐसी परिस्थिति में उनका प्रदेश अध्यक्ष बने रहना मुश्किल लग रहा है।

नेता प्रतिपक्ष के लिए ये विधायक है दौड़ में

कमलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव जीते हैं। वरिष्ठ विधायक होने के नाते वे नेता प्रतिपक्ष के स्वाभाविक दावेदार हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि वे इस पद को स्वीकार करेंगे इसकी संभावना बेहद कम है। चुनावों में डॉ. गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, तरुण भनोत, कमलेश्वर पटेल, पीसी शर्मा भी चुनाव हार गए हैं। इसलिए नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा इसे लेकर पार्टी परेशान है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए नए चेहरे पर दांव पर लगा सकती है।

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि, यदि केंद्रीय नेतृत्व आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाता है तो नेता प्रतिपक्ष ओबीसी या सामान्य वर्ग से बनेगा। यदि ओबीसी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी आदिवासी वर्ग से आने वाले नेता को सौंपी जा सकती है। नेता प्रतिपक्ष लिए चुरहट सीट से विधायक अजय सिंह राहुल भैया, डिंडौरी विधानसभा से चौथी बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम, श्योपुर जिले की विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत,बड़वानी जिले की राजपुर सीट से विधायक बाला बच्चन, कसरावद सीट से कांग्रेस विधायक सचिन यादव, गंधवानी सीट से विधायक उमंग सिंगार के नाम सबसे आगे है।

पांच कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है कांग्रेस

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि, लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय नेतृत्व, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए पांच (ग्वालियर-चंबल, महाकौशल, बुंदेलखंड, बघेलखंड और मालवा-निमाड़) क्षेत्रों में कार्यकारी अध्यक्ष भी बना सकता है। इसके लिए क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय और नए चेहरों को आगे लाने की रणनीति पर मंथन चल रहा है। महाकौशल आदिवासी बहुल इलाका है।

यहां ओमकार सिंह मरकाम को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कांग्रेस यदि मध्य प्रदेश में गुजरात की तर्ज पर सामूहिक नेतृत्व पर फोकस करती है तो उसे लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में कई युवा नेता आगे नजर आ रहे है। इनमें दिग्विजय सिंह के बेटे राघौगढ़ सीट से विधायक जयवर्धन सिंह, पूर्व विधायक जीतू पटवारी, झाबुआ सीट से विधायक विक्रांत भूरिया जैसे नाम शामिल हैं।

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