रायपुर। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की शिक्ष को लकेर युवाओं का मोह भंग हो चुका है।इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से संचालित पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो गई है। इस बार एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बहुत कम छात्रों ने प्रवेश लिया है।

शिक्षा सत्र 2023-24 में प्रवेश के लिए तीन राउंड की काउंसिलिंग हुई। सीटें खाली रहने के बाद ओपन काउंसिलिंग भी हुई, जिसके तहत 12वीं पास उन छात्रों से भी आवेदन मंगाए गए, जो प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद भी कृषि इंजीनियरिंग की 88 प्रतिशत सीटें खाली रह गईं।

राज्य में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई चार कालेजों में होती है। इनमें दो सरकारी, एक रायपुर और एक मुंगेली में है। इसके अलावा दो निजी कालेज भिलाई में हैं। इनमें कुल 253 सीटें हैं। रायपुर के इंजीनियरिंग कालेज में 25 और मुंगेली के सरकारी कालेज में छह छात्रों ने प्रवेश लिया हैं।

इस तरह से कुल 31 सीटें भरी हैं और 222 खाली हैं। दोनों निजी एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कालेज में एक भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों का रुझान पिछले कुछ वर्षों से कम हुआ है। पहले भी प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या कम रहती थी। लेकिन इस बार ज्यादा सीटें खाली हैं। इसी तरह फूड टेक्नोलाजी, डेयरी टेक्नोलाजी जैसे कोर्स की भी अधिकांश सीटें खाली रह गईं।

जानकारों का कहना है कि इन कोर्स को लेकर छात्रों में रुझान कम है। इन कोर्स में रोजगार के अवसर की कमी है। दूसरी ओर छात्रों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, परिणामस्वरूप इन कोर्स में छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध फूड टेक्नोलाजी कालेज में सिर्फ छह छात्रों ने प्रवेश लिया है। यहां कुल 42 सीटें हैं। इनमें से 36 खाली हैं।

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