बिलासपुर। शिक्षक पात्रता परीक्षा के सर्टिफिकेट की वैधता को लेकर विभाग द्वारा दिए गए व्यवस्था के खिलाफ महिला उम्मीदवार ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने और इस पर नियमों के तहत कार्रवाई करने का आदेश राज्य शासन को दिया है।

संचालक लोक शिक्षण संचालनालय, रायपुर द्वारा वर्ष 2023 में बस्तर एवं सरगुजा डिवीजन में शिक्षक पद पर भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया। दीनदयाल नगर, राजनांदगांव निवासी मनीषा ठाकुर द्वारा बस्तर डिवीजन में शिक्षक पद पर भर्ती हेतु आवेदन किया गया एवं संपूर्ण प्रक्रिया के पश्चात् वह परीक्षा में चयनित हुई परंतु 30 सितंबर 2023 को संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग, बस्तर द्वारा मनीषा ठाकुर को इस आधार पर अपात्र कर दिया गया कि उसका टीईटी सर्टिफिकेट की वैधता समाप्त हो चुकी है।

विभाग के इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए मनीषा ठाकुर द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की । अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए तर्क प्रस्तुत किया कि पूर्व में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की वैधता सात वर्ष के लिए की गई थी परंतु नौ जून 2021 को नेशनल काउंसिल फार टीचर ”एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा टीईटी परीक्षा की वैधता आजीवन (लाइफटाइम) कर दी गई थी।

उसके पश्चात् 26 जून 2021 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा एक सर्कुलर जारी कर शिक्षक पात्रता परीक्षा परीक्षा की वैधता आजीवन कर दिया गया है। याचिकाकर्ता द्वारा वर्ष 2011 में टैट परीक्षा पास कर ली गई है। एनसीटीई एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जून 2021 में जारी सर्कुलर के तहत याचिकाकर्ता की टैट. सर्टिफिकेट की वैधता आजीवन है। लिहाजा याचिकाकर्ता शिक्षक पद पर भर्ती की पात्र है।

मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर एवं संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बस्तर को तय सरकुर्लर के आधार पर याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया है।

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