नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कामकाजी महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव (सवेतन मासिक धर्म अवकाश) दिए जाने पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि मेंस्ट्रुएशन महिलाओं के जीवन का नेचुरल पार्ट है। इसे दिव्यांगता यानी किसी तरह की कमजोरी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।

पीरियड लीव यानी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को छुट्टी मिलनी चाहिए या नहीं? पेड पीरियड लीव पर मोदी सरकार की सोच क्या है? क्या सरकार इस पर कोई प्रावधान लाने पर विचार कर रही है? ये सवाल संसद में उठा, जिसका जवाब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दिया है। स्मृति ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म यानी पीरियड कोई बाधा नहीं है। जिन्हें पीरियड नहीं होता, उन्हें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए।

दरअसल राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने स्मृति ईरानी से पीरियड पर सवाल किया था। उन्होंने कहा कि बिहार पीरियड लीव देने वाला पहला राज्य था। उन्होंने स्मृति ईरानी से सवाल करते हुए पूछा कि सरकार ने क्या प्रावधान किए हैं कि वो महिला कर्मचारियों को अनिवार्य तौर पर पेड पीरियड लीव दें?

स्मृति ईरानी ने दिया जवाब

स्मृति ईरानी ने मनोज झा की बात का जवाब देते हुए कहा कि यह महिलाओं की जिंदगी का हिस्सा है और इसको हमें दिव्यांगता की तरह नहीं देखना चाहिए… यह देखते हुए कि महिलाएं आज ज्यादा से ज्यादा आर्थिक अवसरों को विकल्प चुन रही हैं। मैं इस पर अपनी व्यक्तिगत विचार रखूंगी कि हमें ऐसे मुद्दों पर प्रस्ताव नहीं रखना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है।

स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि महिलाओं को पीरियड के दौरान छुट्टी दी गई तो इससे महिलाओं के प्रति भेदभाव बढ़ेगा। हालांकि मासिक धर्म को लेकर जो हाइजीन की बहस है, उसकी अहमियत को ईरानी ने जरूर स्वीकार किया है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किए गए एक मसौदे का भी जिक्र किया। जिसका मकसद देश भर में मासिक धर्म को लेकर जागरूकता फैलाना और हाइजीन से जुड़ी चीजों की पहुंच बढ़ाना है।

लोकसभा में भी हो चुकी चर्चा

इससे पहले शशि थरूर ने भी 8 दिसंबर को लोकसभा में पीरियड लीव पर सवाल किया था. उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या सरकार सभी वर्कप्लेस के लिए पीरियड लीव का प्रावधान अनिवार्य करने पर विचार कर रही है?

इस पर स्मृति ईरानी ने कहा था कि मासिक धर्म एक प्रक्रिया है। इसमें कुछ महिलाओं को कम तो कुछ को ज्यादा समस्या होती है। ये अधिकतर मामलों में दवा से कंट्रोल किया जा सकता है। फिलहाल सभी वर्कप्लेस पर पेड पीरियड लीव अनिवार्य करने का कोई प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया है।

इन देशों में मिलती है पीरियड्स लीव

जापान और साउथ कोरिया में महिलाओं को पीरियड्स के लिए छुट्टी मिलती है। लेकिन वहां भी महिलाएं इस छुट्टी का इस्तेमाल नहीं करती हैं। जापान में 1947 में लेबर राइट्स कंसर्न के तहत पीरियड लीव पॉलिसी आई।

जापान की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट बताती है कि साल 1965 में केवल 26% महिलाओं ने इस छुट्टी का इस्तेमाल किया। लेकिन वक्त के साथ ये आंकड़ा और कम हो गया। वहां की सरकार ने साल 2017 में एक सर्वे कराया, उसमें ये बात सामने आई कि सिर्फ 0.9% महिलाओं ने ही पीरियड लीव अप्लाय की थीं।

क्या पीरियड्स का दर्द सच में बहाना होता है?

पीरियड्स से संबंधित लक्षण हर लड़की और महिला में अलग होते हैं। कई सर्वे में 80 से 85% महिलाओं ने माना कि उन्हें पेनफुल पीरियड्स होते हैं। पीरियड्स सिर्फ दर्द तक सीमित नहीं होते। विशेषज्ञ बताते हैं कि पीरियड्स के पहले-दूसरे दिन महिलाएं या लड़कियां कई दिक्कतों का सामना करती हैं। ज्यादा दर्द, हैवी ब्लीडिंग, उल्टी, क्रैम्प, ब्रेस्ट टेंडरनेस, मूड स्विंग, हेडेक, माइग्रेन जैसे कई लक्षण महिलाओं में देखने को मिलते हैं।

डॉक्टर बताती हैं कि ये कोई बहाना नहीं है। हमारे पास ऐसे मामले भी आते हैं, जिनमें महिलाओं को इतना तेज दर्द होता है कि उन्हें इंजेक्शन देना पड़ता है। सीवियर पेन का कारण एंडोमेट्रियोसिस फाइब्रॉयड होता है। वैसे, पहला दिन अधिकांश लड़कियों के लिए मुश्किल वक्त होता है। वहीं, बहुत सारी लड़कियां शुरुआत के दो दिन पेन किलर्स का सहारा लेती हैं। लंबे समय तक पेनकिलर्स खाना सेहत पर बुरा असर डालता है।