जगदलपुर। नारायणपुर जिले के कुकड़ाझोर गांव में बीते 12 दिसंबर को एक किसान के आत्महत्या करने के मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा गठित 5 सदस्यीय जांच टीम सोमवार को मृत किसान हीरु बढ़ई के घर पहुंची और यहां उनके परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया।

साथ ही परिजनों के साथ-साथ गांव वाले के भी बयान दर्ज किए. कांग्रेस की जांच टीम ने अपने प्रारंभिक जांच में पाया कि किसान ने सवा लाख रुपये के कर्ज नही चुका पाने के चलते कीटनाशक दवाई खाकर आत्महत्या कर ली।

कुछ दिन बाद किसान के बड़े बेटे की शादी होनी थी ऐसे में उसके पास बैंक का कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में कुछ दिनों से वह परेशान चल रहा था. कर्ज नहीं चुका पाने के चलते किसान ने अपने खेत में कीटनाशक दवाई खाकर आत्महत्या कर ली। जांच समिति के सदस्यों का कहना है कि वह जल्द ही परिजनों और ग्रामीणों के बयान दर्ज करने के बाद एक रिपोर्ट बना कर पीसीसी को सौपेंगे।

कांग्रेस जांच कमेटी ने की परिजनों और ग्रामीणों के बयान दर्ज

दरअसल बीते 12 दिसंबर को नारायणपुर जिले के कुकड़ाझोर गांव में रहने वाले किसान हीरू बढ़ई ने अपने खेत में कीटनाशक दवाई खाकर आत्महत्या कर ली थी. प्रारंभिक जांच में पता चला कि किसान हीरू को बैंक से 1 लाख 24 हजार रुपये का कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भेजा गया था।

इस नोटिस के मिलने के बाद किसान मानसिक रूप से काफी तनाव में था. कुछ दिन बाद बड़े बेटे योगेश्वर की शादी होने वाली थी ऐसे में वह अपने बड़े बेटे के शादी को लेकर भी परेशान था. तनाव में आकर किसान द्वारा आत्महत्या करने की बात सामने आई।

वहीं इस पूरे मामले की जांच के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने एक जांच समिति का गठन किया जिसमें बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल को जांच कमेटी का संयोजक बनाया गया औऱ उनके नेतृत्व में 5 सदस्य टीम जिसमें पूर्व मंत्री मोहन मरकाम, पूर्व विधायक चंदन कश्यप,पूर्व विधायक संतराम नेताम और नारायणपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष रजनु नेताम मृत किसान हीरू के गांव कुकड़ाझोर पहुंचे।

यहां किसान के परिवार वालों से मुलाकात की, जांच कमेटी के संयोजक लखेश्वर बघेल ने बताया कि किसान ने कर्ज तले आत्महत्या करने कि कांग्रेस की प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई है. लखेश्वर बघेल ने बताया कि परिजनों के बयान के आधार पर पता चला है कि किसान हीरू अपने पूरे परिवार का पालन पोषण अकेले करता था।

पत्नी और दोनो बेटों के साथ वह अपनी सांस का भी पालन पोषण करता था, हीरु के पास 9 एकड़ खेत है और इस साल मौसम की बेरुखी के चलते उसके 9 एकड़ खेत में केवल 70 बोरी ही धान की पैदावार हुई।

कुछ दिन पहले ही बैंक की तरफ से हीरू पर 1 लाख 24 हजार रु. का कर्ज चुकाने का नोटिस भेजा गया, जिससे वह हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहा करता था कि इस बार धान की पैदावार अच्छी नहीं हुई है तो कर्ज किस तरह चुका पाएंगे और बेटे के विवाह के लिए रकम का इंतजाम कैसे होगा. इस बात का जिक्र वह प्राय: अपने परिजनों के सामने करता था और आखिरकार तनाव में आकर किसान हीरू ने इस तरह का कदम उठाया।

बयान दर्ज कर पीसीसी को सौपी जाएगी जांच रिपोर्ट

कांग्रेस जांच कमेटी के सदस्यों का कहना है कि कांग्रेस की सरकार बनने से किसान को कर्ज माफी की उम्मीद थी. साथ ही भाजपा ने भी अपने वादे अनुसार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था. इसके बावजूद भी बैंक के द्वारा किसान को नोटिस भेजा गया और कर्ज माफी जैसी कोई पहल नहीं होने के चलते किसान ने आत्महत्या की।

ऐसे में कांग्रेस की जांच कमेटी के सदस्यों ने परिवार वालों को मुआवजा राशि दिए जाने के साथ ही किसान का पूरा कर्ज माफ करने की मांग की है. फिलहाल इस मामले में लगातार कांग्रेस की जांच कमेटी के द्वारा परिजनों और ग्रामीणों के बयान दर्ज किये जा रहे है. लखेश्वर बघेल का कहना है कि पूरी रिपोर्ट तैयार करने के बाद इसे पीसीसी को सौपा जाएगा और उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा कि आगे कांग्रेस के द्वारा क्या कदम उठाया जाएगा.

कांग्रेस प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरने की कर रही तैयारी

गौरतलब है कि किसान हीरु बढ़ई की आत्महत्या को लेकर अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस बैंक का कर्ज नहीं चुका पाने के चलते और कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाने के चलते किसान के द्वारा आत्महत्या करने के बात कह रही है।

वहीं दूसरी तरफ भाजपा आत्महत्या की कोई और ही वजह बता रही है. हालांकि इस मामले में नारायणपुर जिला प्रशासन ने भी जांच के आदेश दिए हैं,
फिलहाल किसान की आत्महत्या का मामला राजनीतिक मुद्दा बन गया है और कांग्रेस इस मामले को लेकर भाजपा सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।

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