रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद कलह मच मचा हुआ है। पार्टी ने 60 से अधिक नेताओं को भीतरघात की शिकायत पर नोटिस जारी किया है लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। खास बात यह है कि पार्टी के एक के बाद एक सीनियर नेता संगठन के पदों से इस्तीफा दे रहे हैं और पार्टी के मुखिया उन्हें रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

भीतरघात की शिकायत पर जारी हुई है नोटिस

कांग्रेस हाईकमान ने बस्तर सांसद दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर यथावत रखा गया है। मगर वे पार्टी के भीतर चल रही उठापटक को रोकने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। बीते विधानसभा चुनाव में सौ से अधिक नेताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ भीतरघात की शिकायत आई थी। इनमें से 60 से अधिक को नोटिस जारी किया गया है। ज्यादातर के जवाब भी मिल गए हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि आनन-फानन में दो पूर्व विधायकों के निष्कासन की कार्यवाही की गई है, मगर इसके बाद उठ रहे विरोध के स्वर को देखते हुए PCC के कदम रुक गए हैं।

इन प्रमुख नेताओं को नोटिस

पार्टी सूत्रों के मुताबिक बिलासपुर के नेता और संयुक्त महामंत्री अशोक अग्रवाल, त्रिलोक श्रीवास, पूर्व विधायक लेखराम साहू, नगर पंचायत अध्यक्ष तपन चंद्राकर, पूर्व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर सहित कई प्रमुख पदाधिकारी हैं, जिन्हें नोटिस जारी किया गया है।

पार्टी प्रत्याशियों ने की है शिकायत

बताया जा रहा है कि इन सभी के खिलाफ पार्टी प्रत्याशियों ने शिकायत की थी। अब हार के बाद पार्टी संगठन कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। इससे परे एक के बाद एक नेताओं का पार्टी संगठन से इस्तीफा देने का क्रम चल रहा है।

चुन्नीलाल ने इस्तीफा दिया, केरकेट्टा ने पार्टी छोड़ी

प्रदेश उपाध्यक्ष चुन्नीलाल साहू ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा भेज दिया है। दो दिन पहले पाली तानाखार के पूर्व विधायक मोहित केरकेट्टा ने पार्टी छोड़ दिया। यही नहीं, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री चन्द्रशेखर शुक्ला ने तो हार के लिए बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश प्रभारी सैलजा को पत्र लिखकर समीक्षा बैठक बुलाने की मांग की है।

21 को होगी CWC की बैठक

हार पर पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक में चर्चा होगी। यह बैठक 21 तारीख को होगी। इसमें प्रभारी सैलजा भी रहेंगी। इसमें ताम्रध्वज साहू और फूलोदेवी नेताम सदस्य के रूप में रहेंगे। कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भी बुलाया जा सकता है। पार्टी नेताओं के मुताबिक विधानसभा सत्र के बाद यहां भी समीक्षा बैठक होगी। इस बैठक में हार के कारणों की विस्तार से चर्चा होगी, और फिर शिकायतों पर कार्रवाई को लेकर फैसला लिया जाएगा।

भाजपा में भी पेंडिंग है कार्रवाई

छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ हुई भाजपा में भी पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप लग रहा है। कई शिकायतें प्रदेश महामंत्री (संगठन) पवन साय को मौखिक और लिखित रूप में की गई है। चूंकि पार्टी को जीत मिली है, इसलिए इस पर कार्रवाई फिलहाल नहीं हो रही है। मगर देर-सबेर इन शिकायतों पर कदम उठाने की बात कही जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक जिन जगहों पर भीतरघात की शिकायत हुई है उनमें धमतरी, बालोद प्रमुख है। यहां तो जिले के पदाधिकारियों के खिलाफ पार्टी प्रत्याशियों ने शिकायत की है। इसी तरह अंबिकापुर शहर जिला और चुनाव संचालन समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ भी भीतरघात की शिकायत हुई है। हालांकि अंबिकापुर की तीनों सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। रायपुर में भी एक पूर्व विधायक के खिलाफ तीन प्रत्याशियों ने शिकायत की है। पार्टी अभी सीधे नोटिस जारी करने से बच रही है, और कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल गठन के बाद शिकायतों पर निर्णय लिया जाएगा।

इस तरह कांग्रेस में हार के चलते पार्टी फ़िलहाल भीतरघातियों पर कार्रवाई से बच रही है। इसके उलट भाजपा में जीत के बहाने कार्रवाई को लटककर रखा गया है। दोनों दलों में प्रभावित पक्ष करवाई का इंतजार कर रहा है।