देहरादून। हिम प्रहरियों के रसद में करीब 70 लाख रुपये का घोटाला करने वाले आईटीबीपी सीमाद्वार देहरादून में तैनात तत्कालीन कमांडेंट, दो दरोगा और तीन व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद CBI ने इन छह लोगों के खिलाफ कार्यवाही की है। आरोपी कमांडेंट और दरोगा समेत अन्य पर चमोली जिले में हीटिंग ऑयल की आपूर्ति में घोटाला करने के मामले में सीबीआई चार्जशीट दे चुकी है। आरोपी कमांडेंट वर्तमान में बिहार में तैनात है।

कमांडेंट के खिलाफ ये थी शिकायत

23 बटालियन आईटीबीपी देहरादून के कमांडेंट पियूष पुष्कर ने सीबीआई को दी शिकायत में कहा है कि देहरादून में तैनाती के दौरान कमांडेंट अशोक कुमार गुप्ता ने वर्ष 2017 से 2019 के बीच उपनिरीक्षक सुधीर कुमार तत्कालीन संयुक्त क्वार्टर मास्टर (राशन) और सहायक उप निरीक्षण अनुसूया प्रसाद ने तीन निजी व्यापारियों नरेंद्र आहूजा, मैसर्स आहूजा ट्रेडर्स 141 राजपुर रोड, देहरादून, विनय कुमार, प्रोपराइटर मैसर्स विनय कुमार ट्रेडर्स 1-हरिद्वार रोड देहरादून, नवीन कुमार, प्रोपराइटर नवीन ट्रेडर्स कौलागढ़ देहरादून के साथ मिली भगत कर सरकारी खरीद में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की।

जवानों को मिलने वाले राशन में किया घोटाला

जवानों को मिलने वाले राशन, मटन, चिकन, मछली, अंडे, पनीर, दूध और फल आदि की आपूर्ति के बढ़े हुए बिल पेश कर आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव कर बिलों में काट-छांट कर आईटीबीपी को 70,56,787 रुपए की वित्तीय हानि पहुंचाई गई है।

खुलासे के बाद मुकदमा दर्ज करने की अनुमति

कमांडेंट पीयूष पुष्कर के अनुसार इस मामले में जब आंतरिक जांच हुई तो करीब 70 लाख रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ। जिस पर आईजी नॉर्दर्न फ्रंटियर सीमाद्वार देहरादून ने गृह मंत्रालय से इन आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। गृह मंत्रालय ये मुकदमे दर्ज करानेकी अनुमति के बाद कमांडेंट पीयूष पुष्कर ने सीबीआई को तहरीर दी। सीबीआई देहरादून शाखा के एसपी सतीश कुमार राठी ने मुकदमा दर्ज कर पूरे मामले की विस्तृत जांच इंस्पेक्टर शरद चंद्र गुसाईं को सौंपी है।

घोटाले में अफसर और सप्लायर भी शामिल!

वहीं कमांडेंट के खिलाफ भ्रष्टाचार का दूसरा मुकदमा दर्ज होने से उनके कार्यकाल में तैनात अफसरों, जवानों और वाहिनी को आपूर्ति करने वाले व्यापारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। सीबीआई के अनुसार इस घोटाले में कई और अफसर और सप्लायर भी शामिल हो सकते हैं।

मटन के बिल बनाकर चिकन खिलाया गया

कमांडेंट पर आरोप है कि उनके द्वारा मटन के बिल बनाकर चिकन खिलाया गया।वहीं पनीर के बिल बनाकर सामान्य सब्जी जवानों को परोसी गई। सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई के एसपी सतीश कुमार राठी के मुताबिक सप्लायर ने खाद्यान्न सामग्री के बढ़े हुए बिल पेश किए जिनका भुगतान अफसर की मिली भगत से किया गया।

सप्लायर को इस तरह पहुंचाया फायदा

सरकारी रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर काट-छांट, ओवरराइटिंग कर 70,56,787 रुपए की गड़बड़ी कर सप्लायर को लाभ पहुंचाया गया। मामले की जांच की जा रही है जल्द ही आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। सीबीआई ने छह नामजद के अलावा अन्य अधिकारियों और सप्लायर के भी इस गड़बड़ी में शामिल होने की आशंका जताते हुए कुछ अज्ञात को भी आरोपी बनाया है।

कमांडेंट पर पूर्व में भी घोटाले में है मुकदमा दर्ज

बता दें कि आईटीबीपी की भारत-चीन नियंत्रण रेखा पर चार चौकियों पर तैनात जवानों के लिए हीटिंग तेल समेत राशन की खरीद और आपूर्ति में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने आईटीबीपी के तत्कालीन कमांडेंट, सब इंस्पेक्टर और हरिद्वार के एक तेल कारोबारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था जिसमें चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की सीमा चौकियों पर तैनात जवानों के लिए कल 9784 लीटर हीटिंग तेल (आग सेंकने के लिए) के एक टैंकर के रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई थी।

समन जारी कर सकती है सीबीआई

मामले में सीबीआई आरोपितों को बयान दर्ज करवाने के लिए जल्द ही समन जारी कर सकती है। देहरादून की सीमाद्वार स्थित आईटीबीपी की 23वीं बटालियन के कमांडेंट ने पूर्व कमांडेंट अशोक कुमार गुप्ता व सब इंस्पेक्टर सुधीर कुमार सहित पांच कर्मचारियों के विरुद्ध भारत-चीन सीमा पर सामान की आपूर्ति में भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट आफ इंक्वारी का आदेश दिया था।

रिकॉर्ड में खेल करके घोटाला

इसके साथ ही आईटीबीपी की सीमाद्वार स्थित कैंटीन से जवानों के लिए भेजे जाने वाले राशन के भी हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। बटालियन के रिकॉर्ड के अनुसार 6 अगस्त 2018 को माणा क्षेत्र स्थित चार पोस्ट माणा, घासतोली, राताकोना और कौठियासैंण पर सब्सिडी वाले हीटिंग तेल के दो टैंकर पहुंचे थे। रिकॉर्ड में भी यह दिखाया गया है कि पोस्ट पर दो टैंकर यानी कुल 19,568 लीटर हीटिंग तेल स्टॉक में लिया गया था लेकिन जांच में पता चला कि केवल एक टैंकर ही पोस्ट पर पहुंचा था। जबकि दूसरा केवल रिकॉर्ड में दर्शाया गया।

इसी तरह से तत्कालीन कमांडेंट अशोक कुमार गुप्ता व उपनिरीक्षक सुधीर कुमार को आईटीबीपी की वेट कैंटीन में सामान की खरीद में गड़बड़ी का भी आरोपी पाया गया। जांच में पता चला कि कैंटीन में सामान की खरीद केंद्रीय पुलिस कैंटीन के माध्यम से नहीं बल्कि स्थानीय बाजार से बिना किसी निविदा प्रक्रिया के की गई।