नेशनल डेस्क। इन्तजार कर रहे अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। इसे लेकर देश-दुनिया में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। श्रीलंका के सीता माता मंदिर से अयोध्या तक शोभायात्रा निकाली जा रही है, पूरा देश इस समय भगवामय हो चुका है। वहीं, राम मंदिर में मूर्तियों की स्थापना की जा रही है। अयोध्या से सोमवार जटायु की मूर्ति पहुंची है। जटायु की मूर्ति को राम मंदिर परिसर में स्थापित की जाएगी।

गौरतलब है कि NCR के शहर गाजियाबाद में मूर्तिकार अनिल सुतार ने जटायु की भारी मूर्ति को 3 महीने की मशक्कत के बाद बनाया। यह मूर्ति NCR के शहर साहिबाबाद में बनी है और जटायु की यह 8 फुट की मूर्ति फिलवक्त अयोध्या में है। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।

अयोध्या में बने कुबेर टीला पर लगी मूर्ति

मूर्तिकार अनिल सुतार का कहना है कि पहले मिट्टी की ढलाई की गई फिर एक्सपर्ट कमेटी ने आकर इसे देखा और अप्रूव किया। फिर इसमें दलाई का काम किया गया, अब इसे ट्रक के माध्यम से अयोध्या भेज दिया गया है। मूर्ति अयोध्या मंदिर में बने कुबेर टीला पर लगा दी गई है। जटायु की यह मूर्ति 20 फीट चौड़ी और 8 फीट ऊंची है। इसे बनाने में करीब 3 महीने का वक्त लगा था।

प्रधानमंत्री मोदी के जटायु की मूर्ति पर पूजन वंदन के बाद ही इसे मंदिर परिसर में लगाया जाएगा। वही इंदिरापुरम के मानसरोवर भवन में 22 जनवरी को राम भक्तों के लिए लाइव प्रसारण का इंतजाम है। जटायु की विशालकाय मूर्ति के अलावा राम मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं।

जानें क्या हैं मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
  • मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
  • मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
  • मंदिर में 5 मंडप होंगे। नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।
  • खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
  • मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।