रायपुर। प्रदेश भर में चल रहे सहकारी बैंक भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बन कर रह गए हैं। आलम यह है कि इन बैंकों के भ्रष्ट अधिकारियों को सजा देने की बजाय “तोहफे” से नवाजा जा रहा है। ऐसे तमाम घपले-घोटाले पूर्व में भी उजागर हो चुके हैं। इस बार भी एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें बैंक की महिला CEO को बार-बार की शिकायत के बाद उसकी जांच करने की बजाय CEO को इसी पद पर राजधानी रायपुर के सहकारी बैंक में पदस्थ कर दिया गया है।

डेढ़ दशक से एक ही जगह रहीं पदस्थ
यह मामला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, रायपुर में बीते 5 जनवरी को CEO का पदभार ग्रहण करने वाली अपेक्षा व्यास से जुड़ा हुआ है। उनकी नियुक्ति प्रदेश के अपेक्स बैंक द्वारा दुर्ग के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में CEO के पद पर की गई थी। तब से लेकर लगभग 14 वर्ष तक वे इसी बैंक में पदस्थ रही हैं। बीच में उनका तबादला सहकारी बैंक राजनांदगांव हुआ, जहां से एक माह बाद वे वापस दुर्ग में पदस्थ हो गईं। इसके बाद जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों की शिकायत के बाद उनका तबादला अपैक्स बैंक हुआ और वे फिर 9 महीने बाद सहकारी बैंक दुर्ग में लौट आयीं। इस तरह उन्हें बार-बार दुर्ग में ही पदस्थ किया जाता रहा।
‘बना डाला तबादले का उद्योग’
दुर्ग जिले की एक सहकारी समिति के सदस्य योगेंद्र दिल्लीवार ने पंजीयक, सहकारी संस्थाएं को की गई शिकायत में लिखा है कि CEO अपेक्षा व्यास ने बीते कुछ सालों में जिला सहकारी बैंक, दुर्ग को तबादले का उद्योग बना डाला है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस बैंक के अधीनस्थ 470 कर्मचारियों में से 450 का एक ही साल के अंदर तबादला कर दिया गया। जबकि एक साल के अंदर 10 से 15 प्रतिशत कर्मियों का तबादला ही शासन के नियमों के आधार पर किया जा सकता है।
शिकायत में इस बात का उल्लेख है कि इन 450 कर्मियों में 170 ऐसे हैं, जिनका कथित तौर पर आर्थिक लेनदेन करके 2 से 4 बार तबादला किया गया। जिला सहकारी बैंक के तीनों जिले दुर्ग, बेमेतरा और बालोद के कर्मचारियों को दबाव डालकर उनसे मोटी रकम लेकर मनचाहे जगह पर तबादला किया गया। वहीं रकम नहीं देने पर निवास स्थान से काफी दूर स्थानांतरण कर दिया गया। इसका खुलासा इस बात से होता है कि इन्हीं कर्मियों को कुछ समय बाद ही या तो मूल जगह पर भेज दिया गया या फिर उनके मनचाहे स्थान पर स्थानांतरण कर दिया गया।
अपात्र लोगों को किया गया पदस्थ
CEO अपेक्षा व्यास के खिलाफ शिकायत है कि उन्होंने शाखा प्रबंधक की उपलब्धता रहते हुए भी 10 शाखाओं में कथित तौर पर मोटी रकम लेकर कनिष्ठ सहायक लेखापाल एवं पर्यवेक्षक को प्रभारी शाखा प्रबंधक बनाकर बिठा दिया। ऐसा करना अनुचित है, बावजूद इसके उच्चाधिकारियों ने सबकुछ जानते हुए भी यह सब होने दिया।
कर्मियों को लाखों के गबन के बावजूद कर दिया बहाल
दुर्ग जिले की सोरम सोसाइटी के सदस्य लक्ष्मीनारायण साहू ने भी गड़बड़ियों को लेकर शिकायत की है। उन्होंने पंजीयक को लिखे पात्र में उल्लेख किया है कि सेवा सहकारी समिति मारो और गुंजेरा में बड़े पैमाने पर फर्जी ऋण वितरण और अन्य गड़बड़ियां की गईं। इस घोटाले के प्रकाश में आने पर अवघराम खड़बंधे, श्यामसुंदर कश्यप, राजा वर्मा एवं तरूण कुमार को निलंबित किया गया। बाद में इनके द्वारा गबन की राशि बैंक में जमा नहीं हुई फिर भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा गबन राशि की वसूली किए बिना तथा पुलिस में FIR दर्ज किए बिना श्याम सुन्दर कश्यप एवं समिति प्रबंधक राजाराम वर्मा को सेवा में पुनः बहाल कर दिया गया। जबकि ऐसा करना नियम विरुद्ध है।
सत्ता बदली तो किया केवल ‘तबादला’
दुर्ग में सालों से पदस्थ रहीं CEO अपेक्षा व्यास के खिलाफ पूर्व में भी कई शिकायतें हुईं और पंजीयक द्वारा जांच कर कार्रवाई हेतु पत्र लिखा गया, मगर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई भी जांच नहीं कराइ गई। अब जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है तब आनन-फानन में 3 जनवरी को अपेक्षा व्यास को तबादले पर दुर्ग से राजधानी रायपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में CEO के पद पर तबादला कर दिया गया। इसके बाद अधिकारी ने तेजी दिखाते हुए 5 जनवरी को पदभार भी ग्रहण कर लिया।

पंजीयक ने कार्यवाही के लिए लिखा पत्र
इस मामले में उप पंजीयक ने प्रबंध संचालक, छग राज्य सहकारी बैंक मर्यादित (अपेक्स) को पुराने पत्र और नई शिकायतों का हवाला देते हुए लिखा है कि CEO अपेक्षा व्यास के खिलाफ पूर्व में भी शिकायतों की जांच एवं कार्यवाही कर प्रतिवेदन देने को कहा गया था, मगर प्रतिवेदन अप्राप्त है। उप पंजीयक ने इस बार मिली तीन शिकायतों को संलग्न करते हुए बिंदुवार जांच कर कार्यवाही से संबंधित प्रतिवेदन भेजने को कहा है।

इस मामले पर अपेक्स MD केके कांडे से चर्चा के लिए TRP न्यूज़ संवाददाता ने मोबाइल पर संपर्क का प्रयास किया मगर एक बार उन्होंने फोन रिसीव कर काट दिया, और फिर दोबार फोन उठाया ही नहीं। बहरहाल अब देखना यह है कि बदली हुई परिस्थितियों में क्या अपेक्स बैंक कथित भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई जांच बिठायेगा या फिर उन्हें पहले की तरह उपकृत करता रहेगा।