नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया, जिस पर आज चर्चा हुई। 59 पेज के श्वेत पत्र में 2014 से पहले और 2014 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह UPA सरकार के दस सालों में इकोनॉमी मिस मैनेजमेंट का नुकसान भारत को झेलना पड़ा।

श्वेत पत्र में कई मुद्दों का जिक्र नहीं – जयराम

संसद में बीजेपी द्वारा लाए गए ‘श्वेत पत्र’ पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, “श्वेत पत्र में सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र था, लेकिन नोटबंदी, बेरोजगारी, महंगाई और बढ़ती आर्थिक असमानता का जिक्र नहीं था। जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए श्वेत पत्र- चीन के साथ सीमा की स्थिति, सीमा पर तनाव, मणिपुर की स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी का श्वेत पत्र में कोई जिक्र नहीं है। श्वेत पत्र पीएम मोदी के कार्यकाल की एक और घटना है।”

‘यूपीए में थी वित्तीय अनुशासनहीनता’

बीजेपी द्वारा लाए गए ‘श्वेत पत्र’ पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “यूपीए के समय देश में वित्तीय अनुशासनहीनता थी, लेकिन कोई वित्तीय योजना नहीं थी। उन्होंने (कांग्रेस) लगभग 12 लाख करोड़ रुपये लूटे हैं। 2014 के बाद से, हर मामले में अनुशासन रहा है और अब हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक संकट और बेरोजगारी फिर से बढ़ जाएगी।”

कोयला घोटाले से हुआ भारी नुकसान – निर्मला

निर्मला सीतारमण ने कहा, “यूपीए सरकार के हाथों कोयला घोटाले के कारण भारत को भारी नुकसान हुआ।” उन्होंने कहा कि कोयला घोटाले पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भारत को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, “वैश्विक वित्तीय संकट को संभाल नहीं सके और आज इसे कैसे संभालें इस पर भाषण दे रहे हैं। देश के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया, लेकिन घोटालों पर घोटाले जारी रहे। ऐसे में उन्होंने देश छोड़ दिया।”

संसद में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “आपने (यूपीए सरकार) कोयले को राख में बदल दिया, लेकिन हमने अपनी नीतियों के जरिए कोयले को हीरे में बदल दिया।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “इस ‘श्वेत पत्र’ में दिखाई गई तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि अगर सरकार सच्ची ईमानदारी, पारदर्शिता और राष्ट्र को पहले रखकर काम करती है, तो उसका परिणाम क्या होता है। 2008 के बाद क्या हुआ जब वैश्विक वित्तीय संकट था और COVID ​​​​के बाद क्या हुआ, यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि अगर सरकार का इरादा ईमानदार है तो परिणाम अच्छे होंगे।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था को 10 साल की नाजुक स्थिति से बाहर निकालकर टॉप पांच में पहुंचाने के लिए सरकार ने ‘श्वेत पत्र’ मेज पर रख दिया है। यह जिम्मेदारी के साथ रखा गया एक बयान है।”

जनता का ध्यान भटकने की कोशिश

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बजट सत्र से पहले कहा, “‘श्वेत पत्र’ कुछ और नहीं बल्कि पीएम मोदी के असफल वादों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। असली चुनावी मुद्दे महंगाई और बेरोजगारी आगामी लोकसभा चुनावों में लोगों के दिमाग पर हावी रहेगी।”