रायपुर। डॉक्टर खूबचंद बघेल और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निजी अस्पतालों को हो रही परेशानी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य विभाग को एक बार पत्र लिखा है। आईएमए की तरफ से स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखकर मांग की गई है कि आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना की पैकेज रेट का पुनःनिर्धारण किया जाए। पैकेज करीब 10 वर्ष पहले तय की गई थी। समय के साथ अस्पताल संचालन खर्च बढ़ा है। इस पर पैकेज रेट का फिर से निर्धारण बेहद जरूरी है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि विभाग प्रमुख को पत्र के जरिए अब तक दोनों योजनाओं के तहत इजाज में आ रही परेशानी भी बताई गई है। योजनाओं के तहत किए गए इलाज के क्लेम का रिवाइवल समय पर नहीं हो रहा है। अनियमित भुगतान, बिना उचित कारण बताएं क्लेम राशि में कटौती, रिजेक्शन और रिकवरी केसेस को लेकर अस्पताल परेशान हैं। जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक के बाद भी क्लेम का रिवाइवल समय पर नहीं किया जा रहा है। अनुबंध के तहत सभी क्लेम का निराकरण 15 दिन में होना है और इसकी सूचना अस्पताल को देनी है। देरी होने पर एक प्रतिशन ब्याज का भी प्रावधान है, लेकिन जुलाई 2023 के बाद से अस्पतालों के सारे क्लेम लंबित हैं। इससे अस्पताल के संचालन में दिक्कत हो रही है। पहले भी भुगतान की देरी पर एक प्रतिशत ब्याज का भुगतान नहीं किया गया।

बायोमेडिकल वेस्ट के बारकोड का दर भी हो निर्धारित

डॉक्टरों ने बायोमेडिकल वेस्ट के बारकोड और विभिन्न संभागों में दर के निर्धारण करने की भी मांग की है। एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्या गृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन नियम 2013 में संशोधन प्रारूप को लागू किया जाए। यह प्रस्ताव क्लिनिक पैथोलॉजी लैब, डायग्नोस्टिक सेंटर और निजी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने से संबंधित है। यह प्रस्ताव छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित हुआ था। इस प्रकाशन के बाद इसे नवंबर 2023 में स्वतः लागू हो जाना था, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया।  

दो की जगह एक वर्ष की हो पोस्टिंग

आईएमए के सचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि डॉक्टरों के एमएस, एमडी करने के बाद ग्रामीण बंद पोस्टिंग के तहत 2 वर्ष की नियुक्ति को एक वर्ष का करने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है कि पीजी चिकित्सकों की ग्रामीण बॉण्ड पोस्टिंग बंद कर उन्हें केवल एक वर्ष के लिए समस्त चिकित्सा महाविद्यालय में सीनियर रेजिडेंट के रूप मे नियुक्ति दी जानी चाहिए। इससे उन्हें एक्सपर्ट के रूप में कार्य करने की क्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजीडेंट की कमी पूरी हो सकती है ।

नर्सिंग होम एक्ट के नियमों में हो संशोधन

पत्र के जरिए छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट में पर्यावरण और अग्निशमन संबंधी नियमों में जरूरी संशोधन करने की मांग की गई है। इसके तहत बताया गया कि बिस्तरों की संख्या के आधार पर अथॉरिटी सर्टिफिकेट देने पर सहमति बनी थी लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। राज्य पर्यावरण संरक्षण बोर्ड और एयर वाटर प्राधिकार को 5 वर्ष तक मान्य किए जाने पर बनी सहमति को भी लागू नहीं किया गया है। अस्पताल को औद्योगिक केटेगरी से हटाकर गैर हानिकारक उद्योग श्रेणी में रखे जाने के लिए केंद्र सरकार को भी पत्र नहीं भेजा गया है।

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