टीआरपी डेस्क। सुप्रीम कोर्ट के एक जज द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पिंजरे का तोता कहे जाने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस टिप्पणी पर परोक्ष रूप से अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने इशारों में कहा कि देश के सभी संस्थानों को मिलकर काम करना चाहिए और ऐसी टिप्पणियां, जो उनके कार्यों को प्रभावित करें, संस्थाओं को हतोत्साहित कर सकती हैं।
राजनीतिक बहस को जन्म दे सकती हैं टिप्पणियां
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यदि किसी संस्था पर गलत टिप्पणी की जाती है, तो यह न केवल राजनीतिक बहस को जन्म दे सकती है, बल्कि एक नई कहानी भी गढ़ सकती है। उपराष्ट्रपति, जो एक वकील के रूप में भी लंबा और प्रतिष्ठित करियर रखते हैं, ने यह टिप्पणी मुंबई के एक स्कूल और जूनियर कॉलेज में आयोजित संविधान मंदिर के उद्घाटन समारोह के दौरान की।
न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का साझा उद्देश्य
धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि देश के तीनों प्रमुख अंग-न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का मुख्य उद्देश्य संविधान की मूल भावना की रक्षा करना और देश के नागरिकों को उनके अधिकार सुनिश्चित कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि इन अंगों का काम देश को समृद्ध और मजबूत बनाना है, और इसके लिए आपसी तालमेल बेहद जरूरी है।
उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि संस्थाएं तभी बेहतर काम कर सकती हैं, जब वे अपनी सीमाओं को पहचानें। उन्होंने कहा, कुछ सीमाएं स्पष्ट होती हैं, जबकि कुछ बेहद सूक्ष्म होती हैं। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका जैसे पवित्र मंचों को राजनीतिक बहस का ट्रिगर नहीं बनना चाहिए, क्योंकि इससे उन संस्थाओं को नुकसान हो सकता है, जो कठिन परिस्थितियों में देश की सेवा करती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों जैसे संस्थान कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, और एक अनुचित टिप्पणी उन्हें हतोत्साहित कर सकती है। यह टिप्पणी राजनीतिक बहस और नकारात्मक बयानबाजी को जन्म दे सकती है, जिससे हमें बचने की आवश्यकता है।
बता दें कि यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां द्वारा की गई थी, जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को पिंजरे का तोता कहा था। कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को छह महीने बाद जमानत दी थी, जिसके बाद यह टिप्पणी आई।