हितग्राही अभी भी लकड़ी जलाकर खाना पकाने को मजबूर

महासमुंद। महिलाओं को चूल्हे से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई उज्ज्वला योजना के तहत महासमुंद जिले में अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। दर्जनों हितग्राहियों को कागजों पर उज्ज्वला योजना का लाभ तो दे दिया गया और सब्सिडी भी खाते में आने लगी ।

मजेदार बात यह है कि आज तक हितग्राहियों ने उज्जवला योजना का न तो चूल्हा देखा, न ही गैस देखा । अभी भी लकड़ी जलाकर खाना पकाने को मजबूर हैं।परेशान महिलाएं जहां अब कलेक्टर से गुहार लगाते हुए गैस दिलाने की फरियाद कर रही हैं। वहीं आला अधिकारी जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं।

कलेक्ट्रोरेट परिसर मे जो ये महिलाएं आवेदन लिए खड़ी है। ये वही पीड़ित महिलाएं हैं जो महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत कोसरंगी की है। जिनके गांव में लगभग 6-7 महीने पहले एक शिविर के माध्यम से 27 पात्र हितग्राहियों में से तीन हितग्राही को गौरव गैस एजेंसी के द्वारा उज्जवला योजना का गैस और चूल्हा वितरण किया गया।

शेष 24 पात्र हितग्राहियों को जल्द उज्ज्वला योजना के तहत गैस और चूल्हा देने की बात कह कर टाल दिया गया। पात्र महिलाएं कई बार गौरव गैस एजेंसी आकर गैस, चूल्हा और कनेक्शन प्रमाण पत्र की मांग की. लेकिन हर बार एजेंसी संचालक के द्वारा कनेक्शन आने पर देने की बात कही गई।

हद तो तब हो गई जब पात्र महिलाओं ने अपना बैंक पास बुक अपडेट कराया तो उनके खाते मे बकायदा 261 रुपये एलपीजी गैस की सब्सिडी चार- पांच बार आई दिखी. उसके बाद महिलाओं को पता चला कि उन्हें उज्जवला योजना का न तो गैस मिला और न ही चूल्हा पर सब्सिडी बकायदा उनके खाते में आ रही है कही न कही उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। उसके बाद पीड़ित महिलाओं ने कलेक्ट्रोरेट पहुंचकर कलेक्टर से योजना का लाभ दिलाने के लिए गुहार लगा रही हैं।

इस पूरे मामले मे अपर कलेक्टर निर्भय साहू का कहना है कि महिलाओं के द्वारा गैस, चूल्हा नहीं मिलने और सब्सिडी खाते में नहीं आने की शिकायत की गई है. जिस पर जांच कराकर उचित कार्रवाई की जायेगी।

खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद जिले में कुल 2 लाख 356 हितग्राहियों को जिले के 18 गैस एजेंसी से योजना का लाभ दिया गया है और ये एक गैस एजेंसी का मामला सामने आया है। प्रशासन अगर इसमें सूक्ष्मता से जांच करें तो और भी मामले सामने आ सकते हैं।