Overview: आयुष्मान योजना के क्लेम भुगतान के लिए नोडल एजेंसी की हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर ने जमकर की वसूली, 61 अस्पतालों को 129 करोड़ का संदिग्ध भुगतान
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नोडल एजेंसी की जिम्मेदार अफसर ने कई अस्पतालों का सौ फीसदी क्लेम अप्रूव किया तो कई अस्पतालों का वैलिड क्लेम भी रिजेक्ट कर दिया। इतना ही नहीं पति के अस्पताल को भी फायदा पहुंचाया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की बजाए फ्रेशर डॉक्टरों से क्लेम वेरीफाई कराया गया। इस कारनामे को अंजाम देने के लिए प्रियंका लालवानी ने किन-किन लोगों की मदद ली है, इसकी जांच भी कराई जाएगी।
मनमानी कर पति के अस्पताल सहित 61 अस्पतालों को किया 129 करोड़ का भुगतान


रायपुर। छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम पर स्टेट नोडल एजेंसी की बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। योजना के तहत 61 अस्पतालों को 129 करोड़ रुपए के भुगतान पर जांच एजेंसी ने सवाल खड़े किए हैं। जांच समिति की रिपोर्ट आने से पहले स्टेट नोडल एजेंसी हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर प्रियंका लालवानी को क्लेम भुगतान वाली जिम्मेदारी से हटा दिया गया है। हालाकि अब तक उन पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर प्रियंका पर आरोप है कि उन्होंने 61 अस्पतालों को 129 करोड़ का क्लेम कर दिया। इस पूरे कारनामे में अपने पति डॉ. विनोद लालवानी के अस्पताल को भी फायदा पहुंचाया है। इतना ही नहीं उनके अस्पताल के डॉक्टर को क्लेम चेक करने के लिए बुलाया है। इतना ही नहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों से क्लेम वेरीफाई कराने की बजाए मेडिकल कॉलेज से पास जूनियर डॉक्टरों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से 39 फ्रेशर डॉक्टरों को बुलाकर वेरीफाई कराया। अपने पति और सिंडिकेट में शामिल अस्पतालों के सौ फीसदी क्लेम कुछ ही दिनों में अप्रूव कर दिए गए है। जबकि कई अस्पतालों के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया।
द रूरल प्रेस ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि कोरोना काल के बाद से यह गड़बड़ी शुरू की गई है। क्लेम पेंडिंग रखकर इस पूरी गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। एक साथ दो-तीन महीने की पेंडिंग की वजह से क्लेम की संख्या बढ़ जाती थी। इसी दौरान वेरीफिकेशन के नाम पर कारनामे को अंजाम दिया गया। मनचाहे अस्पतालों को पूरा क्लेम दिया गया। इसके बदले उनसे मोटी रकम वसूली गई। जिन्होंने रकम नहीं दिया, उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया। प्रियंका लालवानी, उनके पति डॉ. विनोद लालवानी और उनके साथी डॉक्टरों ने बाकी अस्पतालों का क्लेम अप्रूव करने के नाम पर वसूली का खेल किया है। सेटिंग किए गए अस्पतालों को पूरा क्लेम दे दिया गया। आयुष्मान भारत की स्टेट नोडल एजेंसी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और अप्रैल 2023 से जुलाई 2023 के दौरान 14 माह में 61 अस्पतालों के 42,372 क्लेम की ऐवज में 129 करोड़ का वो भुगतान कर दिया जिसे संदिग्ध माना गया था। इसमें ऐसे अस्पताल भी शामिल थे जहां मल्टी या सुपर स्पेशिलिटी सुविधाएं तक नहीं थी। गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद तीन सदस्यीय समिति जांच के लिए बनाई गई थी। इस जांच में एक तकनीकी विशेषज्ञ को भी रखा जाना था। जांच शुरू हुई तो शुरुआत में ही बड़ी गड़बड़ी सामने आई। इस पर तकनीकी विशेषज्ञ जांच टीम से हट गए। इसके बाद दो सदस्यीय समिति ने ही जांच की। इस संबंध में जब जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने फोन नहीं उठाया। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और स्वास्थ्य संचालक ऋतुराज रघुवंशी को मैसेज भी किया गया, लेकिन किसी ने मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।
जांच समिति की भूमिका भी संदेह के घेरे में
मामला सामने आया तो पूरे जांच के लिए अगस्त में तीन सदस्यों की समिति बनाई गई। इसमें एसएनए के तत्कालीन नोडल, नर्सिंग होम एक्ट की नोडल एजेंसी के सहायक संचालक और एक आईटी विशेषज्ञ को रखा गया। समिति को संदिग्ध भुगतान और इसके दोषी अफसरों की जांच करना था। सात दिन में रिपोर्ट देनी थी। पूरी जांच दो स्तरों पर होनी थी। इसमें पहले आयुष्मान सॉफ्ट वेयर से जुड़े दस्तावेजों की जांच होनी थी। वहीं दूसरे स्तर पर फिजिकल वैरीफिकेशन किया जाना था। लेकिन करीब दो महीने तक रिपोर्ट पेश नहीं हुई। उसके बाद आचार संहिता लग गई, जिसके बाद मामला टलता चला गया। नई सरकार ने भी इसमें देरी की, लेकिन जिम्मेदारों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सिर्फ हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर को उनके काम से हटा दिया गया। इस वजह से समिति की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
अस्पतालों से की जाएगी रिकवरी
स्वास्थ्य संचालक ऋतुराज रघुवंशी ही स्टेट नोडल अधिकारी हैं। उन्हें भी जांच रिपोर्ट मिल गई है, जो जल्द ही शासन को दी जाएगी। विभागीय अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार कमेटी की जांच में जिन 61 अस्पतालों को क्लेम वेरीफाई करने के बाद पेमेंट भुगतान किया गया है, उनसे रिकवरी की जाएगी। सभी अस्पतालों की गड़बड़ियों का पूरा ब्यौरा बनाया गया है। गलत तरीके से क्लेम राशि लेने वाले अस्पतालों के आगे के क्लेम का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्हें जो गलत तरीके से भुगतान किया गया है, उसे ही एडजस्ट किया जाएगा। वहीं जिन अस्पतालों का क्लेम जानबूझकर रिजेक्ट किया गया था, उन्हें फिर से वेरीफाई कर क्लेम दिया जाएगा। इस पूरे मामले में केंद्रीय नोडल एजेंसी भी जांच कर रही है।
16 महीने में 1339 करोड़ का क्लेम, इसमें 1002 करोड़ का क्लेम सेटल्ड, 129 करोड़ संदिग्ध
अप्रैल 2022 से जुलाई 2023 तक 16 महीने में 5 लाख 90 हजार क्लेम किए गए। क्लेम के तहत दावा की गई कुल राशि 1339 करोड़ रुपए थी, जिनमें 4 लाख 67 हजार क्लेम अप्रूव किए गए। अप्रूव क्लेम में 1002 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। इस पूरे क्लेम में संदिग्ध क्लेम की बात करें तो 16 महीनों में 47372 क्लेम किए गए, जिनमें 129 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। ये क्लेम 61 अस्पतालों को किए गए हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि डेढ़ महीने में क्लेम वेरीफाई कर दिया गया। दिखावे के लिए कुछ अस्पतालों में मामूली कटौती कर दी। स्टेट नोडल एजेंसी ने जितने क्लेम का निपटारा किया उनमें ऐसे अस्पताल भी हैं जहां सुविधाएं तक नहीं थी।