नई दिल्ली। देश भर की जेलों में बंद गरीब कैदियों को जमानत दिलाने के लिए वित्तीय सहायता देने गृह मंत्रालय ने 20 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसका लाभ जेल में बंद उन कैदियों को मिलेगा, जो अपनी जमानत राशि का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को लिखे पत्र में कहा कि प्रत्येक राज्य को ‘निर्बाध धन’ के प्रवाह के लिए एक खाता खोलना चाहिए, ताकि ये पैसे जरूरतमंद लोगों को दिए जा सकें। गृह मंत्रालय ने राज्यों को इस संबंध में कई तरह के निर्देश जारी किये हैं।

जिलों में गठित होंगी ‘सशक्त समितियां’

गृह मंत्रालय के पत्र के मुताबिक, सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को सभी जिलों में ‘सशक्त समितियां’ और राज्य या केंद्रशासित प्रदेश मुख्यालय स्तर पर एक ‘निगरानी समिति’ का गठन करने के लिए कहा गया है।

प्रत्येक राज्य व केंद्रशासित प्रदेश को मुख्यालय स्तर पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो प्रक्रिया या दिशानिर्देशों को लेकर किसी प्रकार के स्पष्टीकरण या योजना में विस्तार के लिए गृह मंत्रालय या केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए) राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के साथ जुड़ सकता है।

प्रत्येक राज्य व केंद्रशासित प्रदेश को सीएनए के खाते (एनसीआरबी) के तहत मुख्यालय स्तर पर एक सहायक खाता खोलना होगा और इसकी तत्काल आधार पर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से निगरानी की जाएगी क्योंकि केंद्र से सभी धनराशि इस खाते के माध्यम से हस्तांतरित होंगी।

पात्र कैदियों की जांच करेगी समिति

जिला स्तर की ‘सशक्त समिति’, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और जेल अधिकारियों की सहायता से पात्र कैदियों के मामलों की जांच करेगी और निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार जुर्माना या जमानत राशि का भुगतान करने के लिए आवश्यक राशि को मंजूरी देगी।