बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक डॉक्टर ने 13 साल की बच्ची से रेप किया, और इसके बाद यह सिलसिला अगले 14 साल तक चलता रहा। इस बीच पीड़ित युवती का विवाह भी हो गया। परेशान पीड़िता ने आखिरकार इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी की गिरफ्तारी भी हुई, पर उसने DNA टेस्ट कराने से मना कर दिया। अब हाईकोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉक्टर, पीड़िता तथा उसकी बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है।

इलाज के लिए गई महिला की बच्ची से किया दुष्कर्म

हाई कोर्ट में याचिका के मुताबिक बस्तर के एक क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर के पास एक महिला इलाज के लिए जाती थी। उसके साथ 13 साल की उसकी बेटी भी जाती थी। सन् 2005 में डॉक्टर ने उसके साथ पहले छेड़छाड़ और मारपीट की। फिर धमकी देते हुए रेप किया। पीड़िता का आरोप है कि डॉक्टर वर्ष 2005 से लेकर 2019 तक उसके साथ मारपीट और धमका कर जबरन दुष्कर्म करता रहा। इस बीच वर्ष 2010 में 18 वर्ष की उम्र पूरी होने पर उसकी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में रहने वाले युवक से शादी कर दी गई। महिला जब भी अपने मायके आती, आरोपी डॉक्टर उससे दुष्कर्म करता।

पीड़िता ने अपनी बच्ची को डॉक्टर का बताया

सन् 2011 में युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया। इसे युवती ने डॉक्टर का बताया है। सन् 2019 में मायके आने पर डॉक्टर ने फिर अपने क्लीनिक में उससे रेप और मारपीट की। इस पर पीडि़ता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट, रेप और अन्य धाराओं में डॉक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी का ब्लड सैंपल तथा DNA टेस्ट कराने को कहा, लेकिन इससे उसने इंकार कर दिया। इस पर पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर डॉक्टर का DNA टेस्ट कराने की मांग की थी।

हाई कोर्ट ने माना – DNA टेस्ट जरूरी

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जस्टिस एन के व्यास की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि सच का पता लगाने के लिए डॉक्टर का DNA टेस्ट जरूरी है। विवेचना अधिकारी को उन्होंने पीड़िता, उसकी बेटी और डॉक्टर का DNA कराने की अनुमति दी है।