टीआरपी डेस्क। लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने अधिकारियों के तबादले की नीति में बड़ा बदलाव किया है। चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले जिले से बाहर स्थानांतरित करने वाले अधिकारियों को संसदीय क्षेत्र के किसी भी जिले में तैनात नहीं किए जाने की सलाह दी है।

दरअसल, यह कदम चुनाव प्राधिकरण द्वारा उन मामलों पर ‘गंभीरता से ध्यान’ लेने के बाद आया है, जिनमें राज्य सरकारों द्वारा अधिकारियों को एक ही संसदीय क्षेत्र के निकटवर्ती जिलों में स्थानांतरित किया जा रहा था।

चुनाव आयोग (EC) की नीति के अनुसार, वे सभी अधिकारी जो या तो अपने गृह जिले में तैनात थे या किसी स्थान पर तीन साल पूरे कर चुके हैं, उन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनावों से पहले स्थानांतरित कर दिया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में समान अवसर में खलल न डालें।

चुनाव आयोग ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी मौजूदा स्थानांतरण नीति को मजबूत किया है कि अधिकारी चुनावों में समान अवसर को परेशान न कर सकें।’

मौजूदा निर्देशों में खामियों को दूर करते हुए, चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि, उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर, जिनमें दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं, सभी राज्य यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन अधिकारियों को जिले से बाहर स्थानांतरित किया गया है, उन्हें उसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में तैनात नहीं किया जाए।

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