रायपुर। प्रदेश भर में बिजली कारखानों से फ्लाई ऐश का परिवहन जिस तरीके से हो रहा है उस पर सवाल उठते रहे हैं। कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया, तब मंत्री ने जो जवाब दिया वह भी गोलमोल रहा। ऐसा लगता है मानो विभाग केवल कार्रवाई की औपचारिकता निभा रहा है।

विधानसभा में आज नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत के अलावा कांग्रेस के ही विधायकों व्यास कश्यप और दिलीप लहरिया ने पावर प्लांटों से निकलने वाले फ्लाई ऐश को लेकर प्रश्न पूछा। डॉ महंत ने तो कोरबा जिले में फ्लाई ऐश परिवहन से हो रहे भयानक प्रदूषण का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि नई सरकार के आने के बाद राख से प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। हालांकि इस मुद्दे पर मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि यत्र-तत्र राखड़ फेंकने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।

फ्लाई ऐश परिवहन को लेकर उठाया सवाल

कांग्रेस विधायक ब्यास कश्यप ने सवाल पूछा कि (क) क्या यह सत्य है कि राखड़ (फ्लाई एश) परिवहन हेतु केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा बनाए गए गाईडलाईन का पालन न करते हुए टेंकर बनाकर बंद ट्रकों की बजाय खुली ट्रकों से राखड़ परिवहन किया जा रहा है? सरकार के गाईड लाईन का पालन कराने हेतु क्या कदम उठाया गया है? (ख) क्या यह सत्य है कि केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की गाईडलाईन में वन भूमि एवं कृषि भूमि पर राखड़ डालने हेतु प्रतिबंधित किया गया है? क्या वर्ष 2021-22 से प्रश्नावधि तक कोरबा एवं जांजगीर- चांपा जिले के वनभूमि (बड़े झाड़ के जंगल) एवं कृषि भूमि पर भारी मात्रा में राखड़ डालने की अनुमति प्रदान की गई है? यदि हां, तो दोषियों के खिलाफ जांच क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या यह सही है कि कोरबा जिले में गाईडलाईन का उल्लंघन करते हुए जल स्रोतों से 500 मीटर से सुरक्षित दूरी के पश्चात राखड़ डालने की बजाय नदी नाले के तट से लगे हुए ग्राम कनकी, कुदुरमाल, तरदा, कटवितला में लाखों टन राखड़ डालने की अनुमति देकर राखड़ डाल दी गई है? यदि हां तो क्या इसकी जांच कर कार्यवाही की गई है?

मंत्री चौधरी ने दिया यह जवाब

इस सवाल पर वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि (क) ताप विद्युत संयंत्रो से उत्पन्न फ्लाई ऐश का परिवहन खुले ट्रक से न किया जाकर तारपोलिन से ढंके हुये ट्रकों द्वारा किया जा रहा है। फ्लाई ऐश परिवहन बिना ढंके ट्रकों से किया जाना पाये जाने पर परिवहन विभाग द्वारा जुर्माना लगाने की कार्यवाही की जाती है। वर्ष 2021-22 से 31-01- 2024 तक की अवधि में कोरबा एवं जांजगीर-चांपा जिले में बिना तिरपाल ढके परिवहन करने वाले वाहनों से कुल 3,42,400 रूपये जुर्माना वसूल किया गया है। (ख) केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी मार्गदर्शिका में कृषि भूमि एवं पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की आवश्यक अनुमति के बिना वन भूमि पर राखंड डालना प्रतिबंधित है। प्रश्नाधीन अवधि में कोरबा एवं जांजगीर-चांपा जिले में वनभूमि (बड़े झाड़ के जंगल) पर राखड़ डालने की अनुमति प्रदान नहीं की गयी है। उक्त दोनों जिलो में भू-भराव हेतु भू-स्वामी के आवेदन एवं सहमति के आधार पर राखड़ भराव की अनुमति दी गयी है। अतः कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) कोरबा में ग्राम कनकी, कुदुरमाल, तरदा, कटबितला के निचले क्षेत्रों में भू-भराव हेतु केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मार्गदर्शिका अनुसार अनुमति प्रदान की गयी है। ग्राम तरदा व कटबितला में फ्लाई ऐश भराव स्थल पर पर्याप्त मिटटी की परत न बिछाया जाना /फ्लाई ऐश नियमों का उल्लंघन होना पाये जाने की स्थिति में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि अधिरोपित की गई है।

बालको से की गई जुर्माने की वसूली

विधायक व्यास कश्यप द्वारा यह सवाल पूछा गया कि क्या संबंधित गांवों में नदी के किनारे गलत ढंग से अनुमति देकर लाखों टन रख डाल दी गई है। इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि इन गांवों में नियमानुसार निचले भूभाग पर राख भरने की अनुमति दी गई है, वहीं फ्लाई ऐश के ऊपर मिटटी नहीं डालने पर फ्लाई ऐश डलवा रही कंपनी बालको से दो बार में ढाई लाख रूपये जुर्माने की वसूली की गई।

तब भाजपा करती थी विरोध, अब..!

बता दें कि कोरबा जिले के जिन गांवों के पास नदी के किनारे फ्लाई ऐश डंप करने की अनुमति दिए जाने को लेकर सवाल उठाया गया है, उसे लेकर पिछली कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में पूर्व विधायक ननकी राम कंवर ने आंदोलन किया था। दरअसल यहां हसदेव नदी के ठीक किनारे राख डंप करने की अनुमति ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर दे दी गई, जबकि नियम यह है कि नदी-नालों के तट से 500 मीटर से पहले फ्लाई ऐश डंप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ग्रामीण बताते हैं कि इस इलाके में सड़क के किनारे दो साल पहले भारी मात्रा में फ्लाई ऐश फेंक दी गई थी, जिसके चलते यहां से गुजरने वालों को आज भी परेशानी हो रही है। जिस मुद्दे पर पूर्व में भाजपा विधायक ने विरोध प्रदर्शन किया था, अब उसी भाजपा सरकार के मंत्री नियमों के तहत अनुमति दिया जाना बता रहे हैं। ऐसा करके पूर्व की सरकार में किये गए नियम विरुद्ध कार्यो को सही ठहराया जा रहा है।

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फ्लाई ऐश परिवहन को लेकर ये है नियम

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा जारी नियम के मुताबिक पावर प्लांट्स से निकलने वाले फ्लाई ऐश का परिवहन बंद ट्रकों या टैंकरनुमा कैप्सूल वाहन में किया जाना अनिवार्य है, मगर छत्तीसगढ़ के पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी फ्लाई ऐश लेकर जाने वाले वाहनों को केवल तिरपाल ढांक कर चलने को सही बता रहे हैं, उनके बताये मुताबिक ही कभी कलेक्टर रहे वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी नियम संबंधी जवाब में कहते हैं कि प्रदेश में ट्रकें तिरपाल ढंककर चल रही हैं, जो भी इसका उल्लंघन करता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

हाई कोर्ट ने NGT पर टाला फैसला..!

बता दें कि पावर प्लांटों से निकलने वाले फ्लाई ऐश को नियम विरुद्ध खपाने, यत्र-तत्र फेंके जाने और खुले डाले वाले ट्रकों में परिवहन करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, जिसको लेकर हाई कोर्ट ने न्याय मित्रों की टीम बनाकर फ्लाई ऐश से होने वाले नुकसान का सर्वे कराया। टीम ने अपनी रिपोर्ट भी पेश कर दी। मगर आखिर में हाई कोर्ट ने यह कहते हुए इस याचिका को ख़ारिज कर दिया कि यह प्रकरण NGT के दायरे में आता है, इसलिए NGT ही इस मामले में कोई आदेश दे सकती है।

बहरहाल फ्लाई ऐश को लेकर विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रदेश की सरकार इसको लेकर जारी गाइडलाइन का पालन कराएगी ताकि आम लोगों को इससे होने वाली परेशानी से मुक्ति मिल सके।