नोटिस जारी कर पूछा क्यों न अवमानना की कार्यवाही की जाए

नयी दिल्ली। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद एवं इसके प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी किया तथा पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न की जाए।

योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के बारे में अदालत में दिये गए हलफनामे और उनके औषधीय प्रभाव का दावा करने वाले बयानों के प्रथम दृष्टया उल्लंघन को लेकर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने उसे कड़ी फटकार लगाई।

पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके अधिकारियों को दवा की किसी भी पद्धति के विरूद्ध प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों मीडिया में उसे किसी भी रूप में कोई बयान देने के खिलाफ आगाह भी किया, जैसा कि उन्होंने न्यायालय के समक्ष अपने हलफनामे में कहा था।

कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने पिछले साल 21 नवंबर को शीर्ष अदालत को आश्वस्त किया था कि अब से कानून का किसी तरह से भी उल्लंघन नहीं किया जाएगा, खासतौर पर विज्ञापन जारी करने या उत्पादों की ‘ब्रांडिंग’ करने में।

साथ ही, पतंजलि के उत्पादों के औषधीय प्रभाव का दावा करने वाला कोई बयान नहीं दिया जाएगा। ना ही इलाज की किसी भी पद्धति के खिलाफ तथ्य रहित बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी किया जाएगा।

इसके बाद, शीर्ष अदालत ने कंपनी को कई रोगों के उपचार के लिए अपनी दवाइयों के बारे में विज्ञापनों में ‘झूठे’ और ‘गुमराह करने वाले’ दावे करने के खिलाफ आगाह किया था।

न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीकाकरण और आधुनिक दवाइयों के खिलाफ रामदेव द्वारा एक दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।