महासमुंद। होली आने अब कुछ ही दिन शेष रह गए है। इसे देखते हुए महिला समूह हर्बल गुलाल बनाने में जुट गई है। इसी कड़ी में हम बता रहे है कि जय माता दी महिला समूह डोकरपाली के महिला सदस्यों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। महिलाएं होली त्यौहार के पूर्व ही हर्बल गुलाल तैयार करने में लगी है। इस गुलाल को लगाने से चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल और हर्बल रंग की कई विशेषताएं हैं। इसमें फूलों के रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं गुलाल और रंग में महक के लिए भी फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है, जो नुकसान करें।

समूह की सदस्य चित्ररेखा दीवान ने बताया कि पिछले साल होली में 80 किलो हर्बल गुलाल महिलाओं ने बनाया। जिससे 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी हुई। जिसकी काफ़ी माँग रही। उन्होंने कहा कि 10 रुपये, 20 और 50 रुपए के हर्बल गुलाल के पैकेट बनाए थे। उन्होंने बताया कि पालक, लालभाजी, हल्दी. जड़ी, बुटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही। इसके अलावा मंदिरों फूलों के बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है। गुलाब, गेंदे, स्याही फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस किया जाता है। इस बार भी लगभग 60 किलोग्राम गुलाल तैयार कर लिया गया है। जिसमें से आधी मात्रा बिक गई है। गुलाल अनेक रंगों में बनाए जा रहे है जिसमें हरा, गुलाबी, पीला, केसरिया गुलाल शामिल है।

हर्बल गुलाल बनाकर महिलायें आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का रास्ता प्रशस्त कर रहीं हैं। गांव की महिला सदस्यों का कहना है कि हर्बल गुलाल होने के कारण इस गुलाल का डिमांड ज़िले सहित आसपास के ज़िलो में से भी आ रही है। वहीं, महिलाओं को घर बैठे स्वरोजगार भी उपलब्ध हो रहा है। इस बार हर्बल गुलाल ज़्यादा बनाए जाने का लक्ष्य है। उनका कहना है कि हर्बल गुलाल बनाकर बच्चे, बड़े, बुजुर्गों को रसायन युक्त गुलाल के नुकसान से बचाना है।