रायपुर। विधानसभा में शिक्षामंत्री की घोषणा के बाद प्रदेश भर में गैर शिक्षकीय कार्य में संलग्न शिक्षकों को वापस भेजे जाने संबंधी आदेश आज जारी कर दिया गया है। हालांकि इस तरह का आदेश हर वर्ष विभाग द्वारा जारी किया जाता है, मगर अधिकारी इसका पालन करने में कोताही बरतते हैं।

शिक्षकीय कार्य होता है प्रभावित

राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव पुलक भट्टाचार्य के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में उल्लेख किया गया है कि राज्य शासन को बहुधा यह शिकायत प्राप्त होती है कि विभाग के शिक्षक संवर्ग के कर्मचारी गैर शिक्षकीय कार्य हेतु विभिन्न कार्यालयों एवं संस्थाओं में संलग्न हैं। इससे शिक्षण का कार्य प्रभावित होता है।

‘सप्ताह भर में प्रमाण पत्र विभाग को प्रेषित करें’

इस सन्दर्भ में आदेश दिया गया है कि गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न सभी शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों का संलग्नीकरण तत्काल समाप्त किया जाकर, उन्हें उनके मूल पदस्थापना शाला में अध्यापन कार्य हेतु कार्यमुक्त किया जाये। संलग्नीकरण समाप्त किये जाने संबंधी प्रमाण पत्र 07 दिवस के भीतर संचालक, लोक शिक्षण को अनिवार्यतः प्रेषित करें। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि यह निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा और इसका कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करें।

गौरतलब प्रदेश भर में हर वर्ष संलग्नीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठता है और इसे समाप्त करने के लिए शासन द्वारा कड़ा पत्र विभागों को लिखा जाता है, मगर बहुत ही कम शिक्षकों और कर्मचारियों का संलग्नीकरण ख़त्म करके उन्हें मूल कार्य में वापस भेजा जाता है। बड़ी संख्या में शिक्षक तो BEO, DEO सहित शिक्षा विभाग के अन्य ार्यलयों में गैर शिक्षकीय कार्यों में संलग्न हैं। आलम ये है कि अनेक विधायकों और मंत्रियों के कार्यालयों में भी शिक्षक संलग्न कर दिए जाते हैं। इन्हें आखिर कैसे हटाया जायेगा, यह सवाल उठना लाजिमी है।