बिलासपुर। राजधानी रायपुर के शताब्दी नगर स्थित सामुदायिक भवन पर कब्जे के मामले में राजश्री सद्भावना समिति को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए रायपुर नगर निगम को भवन का ताला खोलने का आदेश दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।

नगर निगम ने कब्ज़ा छुड़ाकर लगाया था ताला

दरअसल शताब्दी नगर में बना यह भवन चर्चा में आने के बाद काफी शोर-शराबा हुआ। जिसके बाद रायपुर नगर निगम ने रविवार के दिन राजश्री सद्भावना समिति के कब्जे से भवन को मुक्त कर ताला लगा दिया था। निगम के इस फैसले के खिलाफ समिति ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर की थी। राजश्री सद्भावना समिति की अध्यक्ष पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया हैं।

जमीन खरीदे जाने का किया दावा

इस मामले के अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रकरण की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच ने की है। समिति की तरफ से मामले में कोर्ट में कहा गया कि, जमीन सोसाइटी द्वारा खरीदी गई थी, जोकि सतनामी समाज के उत्थान के लिए बनाई गई है। समिति के सभी 10 सदस्यों की तरफ से याचिका दायर की गई है। पूरे नियमों का पालन करते हुए समिति ने निगम में भवन निर्माण के आवेदन दाखिल किया गया। जिसके बाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (नगर निगम) ने भवन निर्माण के बाद समिति को हैंड ओवर कर दिया था।

मामले के अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने अदालत को बताया कि, निगम के रिकॉर्ड्स में गड़बड़ियां है। भवन में कोई भी अवैधानिक गतिविधि नहीं हो रही थी। जिस समिति के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री है, वहीं भवन पर काबिज थी। डहरिया परिवार का भवन पर कोई मालिकाना हक नहीं है, ना ही डहरिया परिवार वहां रहता है। इन आधारों पर अदालत ने रायपुर नगर निगम से पूछा कि किस प्रावधान के तहत आप पुलिस लेकर भवन को खाली करवाने गए, जिसपर निगम अदालत में कोई जवाब नहीं दे पाया।

समिति की तरफ से पूर्व एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि हमारा फैसला निगम और सरकार न करें बल्कि अदालत करे, अगर कोर्ट कह देगा कि हम गैर कानूनी तरीके से वहां रह रहे है तो हम वहां से चले जाएंगे। जिसके बाद अब मामले पर फैसले के लिए कोर्ट ने 13 मार्च की तारीख दी है। अदालत के इस फैसले के बाद राजश्री सद्भावना समिति की अध्यक्ष शकुन डहरिया ने कहा अभी हम सामुदायिक भवन का उपयोग नहीं करेंगे जब तक हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय न आ जाए।