बिलासपुर। न्यायधानी का एक पटवारी अपने तबादले को रुकवाने के लिए सीधे राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा से मिलने राजधानी स्थित उनके बंगले में पहुंच गया। सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना इस तरह पहुंचे पटवारी के ऊपर मंत्री वर्मा ने गहरी नाराजगी जताई और बिलासपुर कलेक्टर को कारवाई का निर्देश दे दिया।

नवीन स्थल पर न जाकर की हठधर्मिता

यह मामला बिलासपुर के मोपका से तबादले पर भेजे गए पटवारी आलोक तिवारी का है। जिला कार्यालय द्वारा बीते 29 फरवरी को पटवारी आलोक तिवारी का तबादला बेलगहना तहसील के हल्का बहेरामुड़ा किया गया। उसी दिन उसे बहेरामुड़ा में ज्वाइनिंग देने के लिए भारमुक्त भी कर दिया गया, पर तिवारी अपने नवीन पदस्थापना स्थल पर न जाकर सीधे राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा से मिलने रायपुर पहुंच गया। उसने अपना तबादला मोपका से बाहर नहीं करने की गुहार लगाई।

पटवारी ने मंत्री से मिलने के लिए किसी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली थी। मंत्री ने उसकी इस हरकत पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने इसे सिविल सेवा आचरण नियमों के विपरीत बताया और कलेक्टर को कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया।

कलेक्टर ने सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के तहत पटवारी आलोक तिवारी को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब तलब किया है। निर्धारित समय में जवाब नहीं मिलने पर एकपक्षीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

शासकीय सेवक रहे हैं मंत्री वर्मा

बताते चलें कि टंकराम वर्मा का सफर शासकीय सेवा से शुरू विधायक और अब मंत्री तक जा पंहुचा है। वे सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाये गए गए नियम कायदों को अच्छी तरह समझते हैं। रहा सवाल बिलासपुर के राजस्व अमले का, तो यहां के कामकाज को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसके चलते कलेक्टर अवनीश शरण ने कई सालों से जमे तहसीलदार और उनके अधीनस्थ कर्मियों को दूसरे स्थान पर तबादले पर भेज दिया है। इन्हीं में शामिल पटवारी अलोक तिवारी ने नियम कायदों को ताक पर रखकर सीधे राजस्व मंत्री से मिलने की ठान ली। बहरहाल उसका यह दांव उल्टा पड़ गया है। अब देखना यह है कि इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर क्या कार्यवाही करते हैं।