बिलासपुर। तहसील कार्यालयों में व्याप्त अव्यवस्था के चलते लंबित मामलों को लेकर हाई कोर्ट ने एक निजी याचिका को जनहित याचिका में क्या तब्दील किया, बिलासपुर कलेक्टर जिले भर के 111 पटवारियों का एक ही दिन में तबादला आदेश जारी कर दिया। इसके पूर्व बड़ी संख्या में राजस्व निरीक्षकों के भी तबादले किये जा चुके हैं।

तत्काल कार्यभार ग्रहण करने का फरमान

तबादले पर भेजे गए पटवारियों को तत्काल प्रभाव से अपना कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश भी दिया गया है। दरअसल लंबित राजस्व मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव व राजस्व सचिव को नोटिस जारी किया है। इसके ठीक अगले दिन यह कार्रवाई की गई है।

‘रिश्वत के बिना नहीं कर रहे काम’

बिलासपुर निवासी रोहणी दुबे ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर बताया था कि तहसील कार्यालय में उनके राजस्व प्रकरण का निराकरण काफी समय से लंबित है। वहां के अधिकारी कर्मचारी रिश्वत के बिना काम नहीं कर रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर कलेक्टर से जवाब मांगा था। कलेक्टर ने इसके बाद दो रीडर व एक पटवारी को सस्पेंड कर दिया था। अगली सुनवाई के दौरान कुछ तहसीलदारों का भी ट्रांसफर कर दिया गया।

समय पर नहीं निपटे 700 मामले

हाई कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान कलेक्टर की ओर से दाखिल जवाब से यह बात सामने आई कि बड़ी संख्या में विवादित और अविवादित लगभग 700 मामलों का निपटारा समय सीमा के भीतर नहीं हुआ है। इस पर हाईकोर्ट ने याचिका को स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में तब्दील कर दिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने अब पूरे प्रदेश में लंबित मामलों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव व राजस्व सचिव को व्यक्तिगत शपथ-पत्र के साथ जवाब दाखिल करने को कहा है।

हाई कोर्ट के इस कदम से प्रदेश भर में राजस्व विभाग की जमकर किरकिरी हुई है। इस मामले में बिलासपुर जिला सर्वाधिक बदनाम है। अब तक जिले में कई कलेक्टर आये, मगर वे चाह कर भी बिगड़ैल राजस्व अमले को सुधर नहीं सके। अब जब मुसीबत सर पर आकर कड़ी हो गई है, तो जिले के नए कलेक्टर अवनीश शरण ने कठोर कदम उठाते हुए पूरे अमले को ही इधर से उधर कर दिया है। बताया जाता है कि लंबे समय से शहरी क्षेत्र में जमे पटवारियों को सीधे ग्रामीण इलाकों में भेजा गया है। देखें पटवारियों का तबादला आदेश :