लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज

नई दिल्ली ।आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में लोकसभा की 25 सीटें जबकि विधानसभा की 175 सीटें हैं। 2024 चुनाव के लिए पवन कल्याण की जन सेना, भाजपा और टीडीपी एक साथ आ गए हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सभी दल अपनी-अपनी बिसात बिछाने में लगे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।

इस मुलाकात के बाद चंद्रबाबू नायडू की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि भाजपा, टीडीपी और जन सेना पार्टी (जेएसपी) के बीच चुनाव में गठबंधन को लेकर सहमति बन गई है। यह स्वीप होगा। नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश बुरी तरह बर्बाद हो गया है। भाजपा, टीडीपी के एक साथ आने से देश और राज्य का भला होगा।

आंध्र प्रदेश में टीडीपी और जन सेना पार्टी के बीच गठबंधन की घोषणा पहले ही हो चुकी है। हालांकि, गठबंधन के नए समीकरण के लिए फार्मूला क्या होगा, इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

अमित शाह और चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात में क्या हुआ है? इससे पहले कब 2024 के लिए दोनों दलों के साथ आने की खबरें आई थीं? चंद्रबाबू नायडू की पार्टी पहले कब-कब किन गठबंधनों के साथ रह चुकी है? आंध्र प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति क्या है? गठबंधन के लिए फार्मूला क्या हो सकता है?

गृहमंत्री अमित शाह और आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को मुलाकात की है। यह मुलाकात नई दिल्ली स्थित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आधिकारिक आवास हुई है। दोनों नेताओं की मुलाकात में भाजपा-टीडीपी के संभावित गठबंधन को लेकर सीट बंटवारें पर बात हुई है।

इससे पहले गुरुवार (7 मार्च) को नई दिल्ली में चंद्रबाबू नायडू, पवन कल्याण और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक हुई थी। इसके बाद शुक्रवार को टीडीपी के राज्यसभा सांसद के. रवींद्र कुमार ने बताया कि टीडीपी और जेएसपी के साथ भाजपा के गठबंधन को घटक दलों ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।

2024 में दोनों दलों के साथ आने की चर्चा पहली बार नहीं हो रही है। आंध्र प्रदेश की राजनीति में गठबंधन को लेकर चर्चा बहुत समय से जारी है। दरअसल, जून 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात हुई थी। नायडू के आवास पर हुई मीटिंग करीब एक घंटे चली, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई थी। इसके बाद से ही चर्चा शुरू हो गई थी कि दोनों पार्टियां 2024 चुनाव एक साथ लड़ सकते हैं। हालांकि, उस वक्त पार्टी के नेताओं ने गठबंधन पर कुछ भी टिप्पणी करने से मना किया था।

2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 10 साल बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए में लौटी थी। 2014 का चुनाव दोनों दलों ने साथ मिलकर लड़ा। लेकिन, 2018 आते-आते दोनों के रास्ते अलग हो गए। बात फरवरी 2018 की है। संसद का बजट सत्र चल रहा था। चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही थी।

बजट में नायडू की पार्टी की मांग का कोई जिक्र नहीं होने के बाद दोनों दलों में तल्खी बढ़ गई। मार्च खत्म होते दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए। यहां तक कि टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक लेकर आ गई थी। छह साल बाद एक बार फिर दोनों दलों के साथ आने की संभावना है।

ये पहली बार नहीं है जब चंद्रबाबू नायडू की चुनाव से पहले नए साथी के साथ जाने की अटकलें लग रही हैं। इससे पहले भी अलग-अलग मौकों पर नायडू साथी बदलते रहे हैं। 1978 में कांग्रेस से अपनी चुनावी राजनीति शुरू की। 1980 में कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे।

1982 में जब एनटी रामाराव ने कांग्रेस के विरोध में पार्टी बनाई तो भी नायडू कांग्रेस में बने रहे। 1982 के चुनाव में नायडू को हार मिली। वहीं, उनके ससुर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद नायडू रामाराव के साथ हो लिए। 1884 में जब रामाराव सरकार गिराने की कोशिश हुई तो नायडू ने ही गैर-कांग्रेसी विधायकों को एकजुट करके रामाराव की सरकार बचाई।

लेकिन, इन्हीं चंद्रबाबू नायडू ने 1995 में अपने ही ससुर को पार्टी से बेदखल कर दिया और पार्टी पर कब्जा करने साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री भी बन गए। 1996 में जब केंद्र में संयुक्त मोर्चा सरकार बनी तो नायडू उस गठबंधन को बनाने वाले अहम चेहरों में थे।

वहीं, 1998 में उन्होंने पाला बदला और एडीए के साथ हो लिए। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। 2004 में एनडीए की हार हुई तो नायडू ने इस हार के लिए गुजरात में हुए दंगों और नरेंद्र मोदी की छवि को बाताते हुए एनडीए से किनारा कर लिया। 10 साल बाद 2014 में एक बार फिर नायडू एनडीए के साथ आए।