बिलासपुर। जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के नाम पर हुए 56 लाख रुपए के घोटाले में दोषी अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की बजाय ऐसे कर्मचारी को पद से हटा दिया गया जिसने केवल बिल को चेक कर अधिकारियों के निर्देश पर भुगतान किया था। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला पंचायत के CEO को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर दस्तावेजों के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

ये है मामला…

याचिकाकर्ता चंद्रहास जायसवाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में ‘मुख्यमंत्री सशक्तीकरण योजना’ के अंतर्गत संकाय सदस्य (फेकल्टी मेंबर) के पद पर उसकी 25 जनवरी 2017 को नियुक्ति हुई। उसने बिना किसी शिकायत के 9 सितंबर 2023 तक कार्य किया।

जिला खनिज संस्थान न्यास के अंतर्गत कौशल विकास एवं रोजगार चयन में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण सह टूल्स प्रदाय कार्य के लिए 30 मार्च 2021 को 52 लाख चार हजार 500 रुपये की राशि की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। उक्त कार्य को निविदा आमंत्रित कर आबंटित किया गया। इसमें उनका (चंद्रहास जायसवाल) कार्य केवल विभाग में प्रस्तुत दस्तावेजों का परीक्षण करना था। कार्य के निरीक्षण का दायित्व उन्हें नहीं दिया गया था। इस कार्य का भुगतान होने के पश्चात शिकायत होने पर जांच कराई गई, जिसमें राशि के लेनदेन में उसकी संलिप्तता नहीं पाई गई, मगर कलेक्टर के निर्देश पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला जांजगीर चांपा द्वारा उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। जबकि राशि के लेनदेन में सम्मिलित किसी अधिकारी, कर्मचारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।

पहली सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए CEO

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर सीईओ, जिला पंचायत जांजगीर-चांपा को उपस्थित होने का निर्देश दिया था। पूर्व में नोटिस तामील होने के बाद भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। इसके बाद कोर्ट ने पुनः नोटिस जारी कर जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) को सभी दस्तावेजों के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।

DMF की राशि में हुई थी हेराफेरी

दरअसल जांजगीर जिले में हुए इस मामले में उजागर हुआ था कि लक्ष्य समाज सेवी संस्था, कोरबा द्वारा DMF से मिली रकम से कौशल विकास एवं रोजगार चयन में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण सह टूल्स प्रदाय कार्य हासिल किया गया, मगर प्रशिक्षण की केवल औपचारिकता निभाई गई। इस मामले की जांच में शासकीय राशि का गबन करना पाए जाने पर प्रथम दृष्टया धारा 409 भादवि का अपराध थाना जांजगीर में पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आरोपी अमित तिवारी, लुकेश्वर चौहान, योगेश चौहान एवं राहुल चौहान, सभी निवासी बालको नगर कोरबा को पिछले वर्ष 14 मई को गिरफ्तार किया गया था।

घोटालेबाज कर्मियों को बचाने का आरोप

56 लाख के इस घोटाले के उजागर होने पर जिला प्रशासन द्वारा केवल एक संविदा कर्मचारी को दोषी बताकर उसे सेवामुक्त कर दिया गया। जबकि लाखों के इस मामले में संबंधित शाखा के कर्मचारी से लेकर अफसर तक की भूमिका साफ नजर आ रही है। जांजगीर-चांपा के तत्कालीन CEO द्वारा सभी संबंधितों को बचाते हुए केवल एक कर्मी को नौकरी से हटाया जाना ही संदेह पैदा करता है। बहरहाल मामला कोर्ट में है और CEO से जवाब-तलब किया गया है। देखना है कि यह मामला क्या रंग लाता है।

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