दिल्ली हाई कोर्ट
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झूठे बयान देने के खिलाफ कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

नई दिल्ली। बुधवार को राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव के खिलाफ केंद्र की ओर से दायर की गई याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। जिसमें देश की छवि को नुकसान पहुंचाने के इरादे से गलत और झूठे बयान देने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में तीनों के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

हाईकोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा कि आप भारतीय वोटरों के दिमाग को कम नहीं आंक सकते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है। याचिका में सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर दिए जाने वाले बयानों का जिक्र किया गया है। राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव ने गलत बयान दिए हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा कुछ उद्योगपतियों के 16 करोड़ के लोन कर्ज को माफ किया गया। इसी याचिका पर कोर्ट से मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। जिसे रद्द कर दिया है।

याचिकाकर्ता सुरजीत यादव ने कहा कि विपक्षी नेताओं के बयान भारत की नेगेटिव इमेज, केंद्र और देश की छवि को धूमिल कर रहे हैं। सुरजीत एक किसान और समाजसेवी कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि अभी देश में आदर्श आचार संहिता लागू है और ऐसे में इन नेताओं को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।

आचार संहिता कब होती है लागू

आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किए गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। आदर्श आचार संहिता में चुनाव आयोग की भूमिका अहम होती है। संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावोंका आयोजन चुनाव आयोग का सांविधिक कर्तव्य है।

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीखों की घोषणा की तारीख से इसे लागू किया जाता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक लागू रहती है। लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है।

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