बिलासपुर। जेल महानिदेशक ने सारंगढ़ के उप जेल में बंदियों के साथ हुई मारपीट के मामले में हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की है। रिपोर्ट के आधार पर स्थिति को गंभीर बताते हुए हाईकोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने तथा प्रदेश की सभी जेलों में मैनुअल का पालन करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर सुनवाई आगे जारी रहेगी।

हाई कोर्ट ने दर्ज की है जनहित याचिका

पिछले महीने ही सारंगढ़ उप जेल के जेलर और प्रहरियों की मारपीट से कई बंदियों के घायल होने और उनमें से कुछ को अस्पताल में दाखिल होने की खबर को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दर्ज की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के निर्देश पर जेल महानिदेशक की ओर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

जांच में मारपीट की बताई गई ये वजह

सेंट्रल जेल बिलासपुर के अधीक्षक को घटना की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। उप जेल में बंदियों और स्टाफ से बयान दर्ज करने के बाद उन्होंने रिपोर्ट तैयार कर जेल महानिदेशक को सौंपी। इसमें बताया गया कि जेल प्रबंधन को पता चला था कि बैरक क्रमांक चार में बंदियों ने कुछ प्रतिबंधित सामान रखे हैं। जांच में विचाराधीन कैदी रोहित पटेल के पास मोबाइल फोन मिला। कैदियों ने बताया कि उक्त मोबाइल उन्हें टिकेश्वर साहू प्रहरी ने उपलब्ध कराया। पूछताछ के दौरान कुछ कैदी जेल स्टाफ को धमकी देने लगे। तब स्टाफ ने कैदियों के साथ मारपीट की। कैदी दिनेश चौहान की हालत गंभीर थी, जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर भर्ती कराया गया।

कैदियों से पैसे के लिए मारपीट की थी शिकायत

इस संबंध में सारंगढ़ जिला मजिस्ट्रेट को भी शिकायत मिली थी। इसके बाद सहायक जेलर संदीप कश्यप राजकुमार कुर्रे, मनेंद्र वर्मा और महेश्वर हिमाची के विरुद्ध आइपीसी की धारा 294, 323, 327, 34, 384 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर उनकी गिरफ्तारी की गई। अन्य स्टाफ जो कैदियों से पैसे लेते थे, उनको भी निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई है।

कोर्ट ने दिखाई गंभीरता

सुनवाई दे दौरान कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जेल में व्यवस्था ठीक नहीं थी और अवैध गतिविधियां चल रही थी। स्टाफ के लोग नशीले पदार्थ और मोबाइल फोन बंदियों को उपलब्ध कराते थे और उसके एवज में पैसे वसूल करते थे। स्टाफ में भी दो गुट बन गए थे, जो एक दूसरे की शिकायत करते थे। रकम नहीं देने पर मारपीट की जाती थी। कोर्ट ने कहा है कि पूरे मामले की विभागीय जांच कर लेने के बाद की गई कार्रवाई से जेल डीजी अवगत कराएं, साथ ही प्रदेश की सभी जेलों में जेल मैनुअल का कड़ाई से पालन हो यह सुनिश्चित करें। इस मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी।

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