टीआरपी डेस्क। दिल्ली की शराब नीति घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने 2 दिन पहले गिरफ्तार किया था। स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक रिमांड पर भेज दिया है। AAP (आम आदमी पार्टी) नेताओं का कहना है कि पहली बार किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है।

दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जेल से ही सरकार चलाएंगे। उनकी बात सच भी है, केजरीवाल संवैधानिक पद पर रहते हुए जेल जाने वाले पहले CM हैं। इससे पहले जो भी मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए, उन्होंने पहले इस्तीफा दिया है। वहीं केजरीवाल पर कार्रवाई को लेकर सियासत तेज हो गई है। BJP उनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर INDI एलायंस की पार्टियां केजरीवाल के समर्थन में उतर आई हैं। 

जानें क्या है शराब नीति घोटाला

कोरोना काल के दौरान दिल्ली सरकार ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी। इसके साथ शराब दुकानों का संचालन निजी हाथों में चला गया। दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाले की बात कही। उन्होंने तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने इसके जरिए शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। इससे जुड़ी एक रिपोर्ट भी उप राज्यपाल (LG) को सौंपी। इस पर LG ने कहा कि कैबिनेट और उनकी मंजूरी के बाद ही नीति में बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने CBI जांच की सिफारिश की। 

इसके बाद जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, 3 रिटायर्ड सरकारी अफसर, 9 बिजनेसमैन और 2 कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार की धाराओं में केस दर्ज किया गया। विवाद बढ़ता देख दिल्ली सरकार ने 28 जुलाई 2022 को नई शराब नीति को रद्द कर दिया और पुरानी लागू कर दी। इसके एक महीने बाद ED ने CBI से जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। फिर 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया और 4 अक्टूबर को सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी की गई। इसी कड़ी में ED गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर पहुंची और अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद देर रात गिरफ्तार कर लिया गया।

केजरीवाल पर ED के आरोप

ED ने अपनी चार्जशीट में कई बार अरविंद केजरीवाल के नाम का जिक्र किया है। कोर्ट में दायर आरोप पत्र में ED ने बताया है कि, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं ने बनाई थी। इसके जरिए लगातार अवैध धन कमाया जा सके। ED ने दावा किया कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जानबूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी। एजेंसी ने आरोप पत्र में आरोपियों के साथ सीएम के घर पर बैठक से लेकर वीडियो कॉल तक की घटनाओं का उल्लेख किया है।

इन राज्यों के सीएम हो चुके हैं गिरफ्तार

अरविंद केजरीवाल से पहले ED ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। हालांकि उन्होंने गिरफ्तारी से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे ही तमिलनाडु की पूर्व CM जयललिता, बिहार के पूर्व CM लालू प्रसाद यादव और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का नाम शामिल है। 

हेमंत सोरेन, पूर्व CM, झारखंड 

झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ED ने  51 दिन पहले यानी 31 जनवरी 2024 को कथित रक्षा भूमि घोटाले मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले रांची में उनके आवास पर करीब 7 घंटे तक उनसे पूछताछ की थी। हालांकि गिरफ्तारी से ठीक पहले उसी दिन सोरेन ने अपना इस्तीफा झारखंड के राज्यपाल को सौंप दिया था। 

जे. जयललिता, पूर्व CM, तमिलनाडु

जेल जाने के चलते तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को भी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। जनता पार्टी के डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोप था कि 1991 से 1996 तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। 7 दिसंबर, 1996 को जयललिता की गिरफ्तार किया गया। अधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 5 दिसंबर 1996 तक जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद 2001 में चुनाव जीतने से पहले ही तानसी लैंड डील मामले में उनको दोषी पाया गया। उस वक्त सजा सुनाए जाने के बाद जयललिता को जमानत मिल गई थी। जमानत मिलने के चलते जयललिता ने सीएम पद की शपथ ली। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद सितंबर 2001 में जयललिता ने अपने करीबी ओ पन्नीरसेल्वम को सीएम पद सौंप दिया था। फिर 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को दोषी पाया गया था। कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जयललिता ने ओ पन्नीरसेल्वम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया। जयललिता 20 दिन तक जेल में रहीं और फिर बाहर आ गईं। 

लालू प्रसाद यादव, पूर्व CM, बिहार

मई 1997 में चारा घोटाले में CBI ने लालू यादव पर शिकंजा कसा। उस वक्त लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे। उनकी पार्टी केंद्र में भी सत्ता में थी, लेकिन CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी। 30 जुलाई, 1997 को लालू यादव ने कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया। इससे पहले 25 जुलाई, 1997 को लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि चार्जशीट फाइल होते ही उन्हें अपनी गिरफ्तारी दिखाई देने लगी थी। इसके चलते उन्होंने उत्तराधिकारी की तलाश शुरू की। उस वक्त रेस में रघुनाथ झा और अली अशरफ फातमी का नाम सबसे आगे था। 1990 में रघुनाथ झा ने लालू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए रामसुंदर दास का वोट काटा था। हालांकि लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके चलते जनता दल में फूट पड़ गई। लालू ने राष्ट्रीय जनता दल बना ली। 

बीएस. येदियुरप्पा, पूर्व CM कर्नाटक

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को साल 2011 में जमीन मामले में जेल जाना पड़ा था। दरअसल, कर्नाटक के लोकायुक्त ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि राज्य का सीएम ऑफिस अवैध उत्खनन कार्य में एक्टिव है। इसके बाद जांच CBI के पास गई और BJP बैकफुट पर आ गई। बीजेपी आलाकमान ने येदियुरप्पा को दिल्ली बुलाया। उस वक्त नितिन गडकरी पार्टी अध्यक्ष थे। रिपोर्ट के मुताबिक गडकरी ने येदियुरप्पा से इस्तीफा देने को कहा, लेकिन येदियुरप्पा तैयार नहीं थे। वहीं, CBI की कार्रवाई तेज होती जा रही थी। भाजपा आलाकमान ने येदियुरप्पा को हटाने का फैसला कर लिया था। येदियुरप्पा भी पार्टी से नाराज हो गए। उन्होंने 15 अक्तूबर 2011 को लोकायुक्त कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इससे पहले 31 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।  इसके बाद डीवी सदानंद गौड़ा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया था।

उमा भारती, पूर्व CM मध्य प्रदेश

साल 2003 में दिग्विजय सिंह को सत्ता से बेदखल करने के बाद बीजेपी ने उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन 1994 के हुबली शहर में हुए दंगो की वजह से कर्नाटक कोर्ट के एक वारंट ने उमा भारती की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। अफसरों की लापरवाही के चलते उमा पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी। 10 साल पुराने मामले में कर्नाटक से पुलिस की एक टीम चर्चित IPS डी रूपा के नेतृत्व में सीधे भोपाल पहुंची और बिना किसी को भनक लगे बंगले में जाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बीजेपी आलाकमान ने गिरफ्तारी से पहले उमा को इस्तीफा देने का आदेश दिया।

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