लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी बहुजन समाजवादी पार्टी ने रविवार को उत्तर प्रदेश में 25 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी। उम्मीदवारों में सोशल इंजीनियरिंग का तड़का इंडी गठबंधन और NDA दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में प्रत्याशियों की दो लिस्ट जारी की। पहली लिस्ट में 16 तो दूसरी लिस्ट में 9 प्रत्याशियों के नाम घोषित किये गए। मायावती ने इस बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग पर दांव खेलते हुए घोषित 25 प्रत्याशियों में से 8 सवर्ण, 7 मुस्लिम, 7 अनुसूचित जाति और 3 ओबीसी विरादरी को मैदान में उतारा है। जानकारों का मानना है कि मायावती के इस सोशल इंजीनियरिंग से इंडी गठबंधन और NDA की चुनौतियां बढ़ेंगी।

दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश

बसपा द्वारा घोषित पहली लिस्ट के 16 प्रत्याशी वेस्ट यूपी से जुड़े हैं। इनमें आठ सीटों पर पहले चरण में, छह पर दूसरे चरण में और दो पर तीसरे चरण में चुनाव है। वेस्ट यूपी की कई सीटें मुस्लिम बहुल हैं, लिहाजा पार्टी ने 7 सीटों पर मुसलमान प्रत्याशी को उतारा है। इस तरह दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश मायावती की तरफ से की गई है।पोलिटिकल पंडितों का मानना है कि सीधा नुकसान इंडी गठबंधन को होगा। दूसरी लिस्ट में सामने आए 9 प्रत्याशियों में 4 अनुसूचित जाति से, 2 ब्राह्मण और 3 OBC हैं. ऐसेमे माना जा रहा है कि ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन के सहारे मायवती लोकसभा चुनाव में दोनों विपक्षी गठबंधन को जोरदार चुनौती देने के मूड में हैं।

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