अनुकंपा नियुक्ति
अनुकंपा नियुक्ति

अनुकंपा नियुक्ति के लिए परेशान होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा

बिलासपुर। मूल विभाग से प्रतिनियुक्ति विभाग में सेवाकाल के दौरान आकस्मिक मौत होने पर आश्रित पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति देने से मना करने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के करते हुए जस्टिस ने संबंधित विभाग के प्रबंधक के रवैये पर नाराजगी जाहिर किया और फटकार लगाते हुए नोटिस जारी जवाब मांगा है।

सेवाकाल के दौरान पिता की मृत्यु हो जाने के मामले में बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से मना करने पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ अधोसंरचना विकास निगम के महाप्रबंधक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता गुंजन आदिले के पिता की नियुक्ति राज्य परिवहन निगम में हुई थी। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद निगम को भंग कर दिया गया था और उनके कर्मचारियों को राज्य अधोसंरचना विकास निगम में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया।

इस निगम को राज्य परिवहन निगम की सारी संपत्ति भी सौंप दी गई। इसके बाद अधोसंरचना निगम ने कई कर्मचारियों की अलग-अलग विभाग में पदस्थापना की। याचिकाकर्ता के पिता को जनसंपर्क विभाग में नियुक्ति दी गई थी। सेवाकाल के दौरान उनका निधन हो गया। याचिककर्ता ने अधोसंरचना विकास निगम को आवेदन देकर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। उनका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि इसका प्रावधान विभाग के सेटअप में नहीं है।

तब अधिवक्ता चंद्रेश श्रीवास्तव के माध्यम से उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से भी यही जवाब दिया गया कि निगम में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए परेशान होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

जो गंभीर बात है। बेंच ने निगम के एमडी को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है कि निगम में अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में क्या प्रावधान है यदि नहीं है तो किन कारणों से प्रावधान नहीं किया गया है। कोर्ट ने सेटअप का पूरा ब्यौरा देने कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी।

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