शिमला। कांग्रेस नेता व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेेक मनुु सिंंघवी ने हिमाचल उच्च न्यायालय में राज्य सभा चुनाव प्रक्रिया को चुनौती दी है। शिमला में उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ‘ड्रा ऑफ लॉट्स’ के जिस नियम के तहत वे चुनाव हारे हैं, वह गलत है, उसी को उन्होंने चुनौती दी है।

अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि पर्ची में जिसका नाम निकले, वह चुनाव हार जाए। ऐसा कोई नियम नहीं है। यह सिर्फ परंपरा के तौर पर प्रचलन में आ गया। उन्होंने चुनाव में ड्रा ऑफ लॉट्स की इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए चुनाव रद्द करने की मांग उठाई है. सिंघवी ने कहा कि टाई होने के बाद पर्ची से किसी एक के पक्ष में परिणाम घोषित करना गलत है। उन्होंने कहा कि टाई की व्याख्या या धारण ही अवैध है, अत: इसके आधार पर जो परिणाम घोषित होगा, वह भी अवैध होगा। उन्होंने कहा कि कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने के लिए याचक को खुद न्यायालय मेें आना पड़ता है, इसलिए वह याचिका दायर करने के लिए आए हैं।

दोनों प्रत्याशियों को मिले थे बराबर वोट

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव के लिए कुल 68 में से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को 34 और बीजेपी के हर्ष महाजन को भी 34 वोट पड़े थे. दोनों पक्षों में 34-34 वोट पड़ने के बाद नियमों के मुताबिक ड्रा ऑफ़ लॉट्स अपनाया गया। पर्ची में जिसका नाम निकला वह चुनाव हार गया। पर्ची में अभिषेक मनु सिंघवी का नाम निकला था और ऐसे में चुनाव में हर्ष महाजन की जीत हो गई थी।

कांग्रेस के 6 विधायकों ने की थी क्रॉस वोटिंग

हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के दौरान छह कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। जिस वजह से बीजेपी और कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले, जिसके बाद ड्रा ऑफ लॉट्स के तहत टॉस हुआ और बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन ने बाजी मार ली। वहीं क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस विधायकों पर पार्टी की तरफ से कार्रवाई करते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हिमाचल में राजनीति में इस दौरान काफी उथल-पुथल मच गई थी। जिसके बाद बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था।

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