रायपुर। बहुचर्चित रामावतार जग्गी हत्याकांड में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। इस मामले के 5 दोषियों को जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है, वहीं दूसरी ओर मामले के के 2 दोषियों ने रायपुर में विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इनमें शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ शामिल हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने 5 दोषियों को सरेंडर के लिए 3 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। इनमें क्राइम ब्रांच के प्रभारी रहे आरसी त्रिवेदी, तत्कालीन मौदहापारा थाना प्रभारी वीके पांडे, CSP कोतवाली अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी सहित महापौर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर शामिल हैं।

हाई कोर्ट ने सजा को रखा है बरकरार

इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इन 28 दोषियों में से एक विक्रम शर्मा उर्फ बुलटू पाठक की मौत हो चुकी है।

इन दोषियों की अपील पर कोर्ट ने सुनाया था फैसला

जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, विक्रम शर्मा (मृत), जसवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील दायर की गई थी।

दो दशक पहले हुई थी हत्या

एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की 4 जून 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। जिनमें से दो बुलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 को सजा मिली थी। बाद में अमित जोगी बरी कर दिए गए थे। इसके खिलाफ रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर अमित जोगी के पक्ष में स्टे है।

इधर, हाईकोर्ट में अपील पर रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी के अमित जोगी की दोषमुक्ति के खिलाफ पेश क्रिमिनल अपील पर उनके अधिवक्ता बीपी शर्मा ने तर्क दिया और बताया कि हत्याकांड की साजिश तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित थी।