टीआरपी डेस्क। कांग्रेस ने सूरत लोकसभा सीट पर पर्चा निरस्त होने और कई उम्मीदवारों के नाम वापस लेने की वजह से भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचित होने पर विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इसे लेकर कई सवाल खड़े किया है साथ ही सूरत का चुनाव रद्द कर नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के परिणाम चार जून को आने वाले हैं। हालांकि, रिजल्ट आने से पहले ही सूरत के भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल को विजेता घोषित कर दिया गया है। दरअसल, कांग्रेस की ओर से नीलेश कुंभानी को इस लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था।

चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दिया क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया। वहीं, इस सीट से अन्य सभी उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया।

आपको बता दें कि भारत के लोकसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी उम्मीदवार को निर्विरोध जीत मिल गई है। अब तक 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं, जिन्होंने निर्विरोध जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने साल 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की थी।

वहीं इस लिस्ट में वाईबी चव्हाण, फारुक अबदुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद का भी नाम शामिल है जो बगैर चुनाव लड़े लोकसभा पहुंच चुके हैं।

इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले अरुणाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में दस भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 2014 के अरुणाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी निर्विरोध जीत हासिल की थी। जून 2011 में भी पेमा खांडू ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध उपचुनाव जीता था।

संविधान खत्म करने का प्रयास

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा,”तानाशाह की असली ‘सूरत’ एक बार फिर देश के सामने है। जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है। मैं एक बार फिर कह रहा हूं-यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है।”

कांग्रेस पार्टी के पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सूरत के कांग्रेस उम्मीदवार पहले कुछ घंटों के लिए गायब हो जाते हैं और फिर जब प्रकट होते हैं तो उनके चारों प्रस्तावक एक साथ पर्चा पर हस्ताक्षर होने की बात से मुकर जाते हैं। इसके बाद दूसरे दल और निर्दलीय सभी अन्य प्रत्याशी नाम वापस लेते हैं और भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल को विजेता घोषित कर दिया जाता है। इस मामले में कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पुनः इस सीट से चुनाव किए जाने का आग्रह किया है।

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