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कथित शराब घोटाले में अनिल टुटेजा को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। बेटे को पूछताछ के बाद छोड़ा गया। अपनी रिपोर्ट में ईडी ने कहा है कि अनिल ‘आर्किटेक्ट ऑफ लिकर स्कैम’। गिरफ्तारी के बाद टुटेजा का सीएम साय को लिखा पत्र वायरल हो रहा है, जो ईओडब्ल्यू की एफआईआर के बाद लिखा गया था। टुटेजा ने पत्र लिखकर जबरन फंसाने की बात कही थी। इस पूरे घटनाक्रम पर द रूरल पोस्ट के एक्जीक्यूटिव एडिटर दानिश अनवर की खास रिपोर्ट...

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल के दौरान अप्रैल 2019 से लेकर 2023 तक हुए शराब घोटाले की बीते महीने अच्छी खासी चर्चा रही। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की 2023 में दर्ज की गई ईसीआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उसी ईसीआईआर के प्रतिवेदन के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने जनवरी में एफआईआर की है। उस एफआईआर के बाद चर्चा तेज हो गई। ईसीआईआर खारिज होने से लेकर कथित शराब घोटाले के आरोपियों की गिरफ्तारी का दौर चला। सबसे पहले जेल से जमानत पर बाहर आते ही अरविंद सिंह को ब्यूरो की टीम ने 3 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन यानी 4 अप्रैल को कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया। 10 अप्रैल को कार्पोरेशन के एमडी रहे एपी त्रिपाठी को बिहार से गिरफ्तार किया। करीब दो हफ्ते बाद यह मामला तब और चर्चा में आ गया, जब पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ईओडब्ल्यू के संमंस पर अपने बेटे के साथ बयान देने ब्यूरो मुख्यालय पहुंचे। तभी ईडी के अफसर नई ईसीआईआर के आधार पर जारी समंस लेकर वहां पहुंचे और दोनों को अपने साथ ले गए। अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया और बेटे को पूछताछ के बाद छोड़ दिया। अनिल को आर्किटेक्ट ऑफ लिकर स्कैम बताया गया। टुटेजा की गिरफ्तारी के बाद दो महीने पुराना एक पत्र वायरल होने लगा, जिसे अनिल टुटेजा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लिखा था। इसमें उन्होंने जबरन फंसाने की बात कही। उन्होंने अनवर ढेबर और नितेश पुरोहित के उस चैटिंग का हवाला देते हुए कहा कि दोनों ने अपनी चैट में ‘टी’ लिखा हुआ था, जिसे ईडी और ब्यूरो की टीम टुटेजा समझ रही है। उन्होंने इस पत्र में चैटिंग का स्क्रीन शॉट फोटो लगाया है। इसके जरिए यह समझाने की कोशिश कि हर “टी” का मतलब टुटेजा नहीं होता है। बस इससे ही वे अपनी सफाई देने की कोशिश पत्र के जरिए करते रहे। मुख्यमंत्री को करीब 16 पेज का पत्र अनिल टुटेजा ने भेजा है, जिसमें 7 पेज का आवेदन है। बाकी के पेज में ईडी के चालान के कुछ सर्पोटिंग दस्तावेज और ईओडब्ल्यू की तरफ से पूर्व में अनिल टुटेजा को भेजे गए नोटिस की कॉपी है। अपने 7 पेज के आवेदन में अनिल टुटेजा ने ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर 6 बिंदुओं पर लगाए गए आरोप के बारे में लिखा है। इसके बाद पूरे मामले में सफाई दी है।

ये है ईडी के लगाए गए आरोप, टुटेजा कर रहे थे सिंडीकेट का नेतृत्व

फरवरी 2019 में राज्य में शराब कारोबार से अधिक से अधिक अवैध कमीशन वसूलने के लिए सिंडीकेट बनाने की बात कही गई है। इस सिंडीकेट का नेतृत्व मुख्यमंत्री के करीबी और राज्य के शक्तिशाली अधिकारी उद्योग विभग के संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा कर रहे थे। सिंडीकेट के अन्य सदस्यों में आबकारी आयुक्त और सचिव निरंजन दास, राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी एपी त्रिपाठी, होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता, प्लेसमेंट कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया, विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह और देशी शराब बनाने वाले 3 प्रमुख डिस्टलर भाटिया समूह, केडिया समूह और जायसवाल समूह थे। इसमें अनवर ढेबर भी शामिल थे। सिंडीकेट ने अप्रैल 2019 में अवैध वसूली शुरू की। अप्रैल 2019 से जून 2022 के बीच लगभग 21 सौ करोड़ अवैध कमीशन के रूप में वसूल किए गए। ईडी ने बताया कि कमीशन वसूली 4 तरीकों से की जाती थी। पहला ड्यूटी पेड शराब की आपूर्ति में 75 से 100 रुपए प्रति पेटी की दर से वसूली की गई। इसे ईडी ने पार्ट ए बताया। पार्ट बी में बिना ड्यूटी पटाई गई 40 लाख पेटी शराब का विक्रय किया गया। पार्ट सी में देशी शराब के 3 डिस्टलरों की देशी शराब के कारोबार में हिस्सेदारी तय करने के लिए कमीशन तय किया गया। पार्ट डी के तहत मल्टी नेशनल शराब निर्माता कंपनियों से उनकी शराब की सप्लाई में अवैध कमीशन प्राप्त करने के लिए एफएल 10 नामक नया लाइसेंस लिए जाने का प्रावधान किया गया, जिसका कोई औचित्य नहीं था। शराब कारोबार में 4 साल में हुई कुल वसूली में से 61 करोड़ की राशि अनिल टुटेजा को मिलने का आरोप है। इसमें से 14.41 करोड़ रुपए की राशि अनवर ढेबर के व्यवसाय में शामिल सहयोग नितेश पुरोहित ने दी और बाकी के 47 करोड़ रुपए अनवर ढेबर के पास है। अनिल टुटेजा को 61 करोड़ मिलने का आधार एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह के बयानों को बताया गया है। साथ ही 14.41 करोड़ रुपए मिलने का डिजिटल साक्ष्य अनवर ढेबर और नितेश पुरोहित के मोबाइल फोन चैट को बताया गया है। इसी चैट में “टी” का जिक्र किया गया है।

अब अनिल टुटेजा की सफाई, कहा – जब नीतियां बनीं तब कमलप्रीत सचिव और आयुक्त थे

पत्र में अनिल टुटेजा ने अपनी सफाई में कहा कि आबकारी विभाग को हाईजैक करने, अपनी मर्जी से विभागीय नीतियां बनाने, अपने मनचाहे व्यक्तियों को काम दिलाने का आरोपी कल्पना पर आधारित है। विभागीय नीतियां और टेंडर से संबंधित कार्य को अंतिम रूप देने की भूमिका आबकारी सचिव और आयुक्त की होती है। नवंबर 2018 से मई 2019 तक विभागीय सचिव, आबकारी आयुक्त और कार्पोरेशन के एमडी आईएएस कमलप्रीत थे। उनके बाद निरंजन दास विभाग के सचिव और आयुक्त के रूप में मई 2019 से जून 2023 तक पदस्थ रहे हैं। ऐसे में कमलप्रीत और निरंजन दास से ईडी ने बिना पूछताछ किए सिर्फ मुझ पर आरोप लगा दिए हैं। दोनों के बयान तक नहीं लिए गए, ताकि उससे यह सिद्ध होता कि मैंने दोनों से किसी भी कार्य के लिए कभी चर्चा की है या नहीं। ईडी को पता था कि अगर इन दोनों अफसरों के बयान लिए गए तो उनके खिलाफ बनाई गई कहानी झूठी हो जाती। 1 अप्रैल 2019 से अवैध वसूली का कार्य आरंभ होना बताया गया, जबकि उस समय विभागीय मुखिया कमलप्रीत से शराब की दरों की वृद्धि का औचित्य और मेरी भूमिका के बारे में पूछताछ नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को भी ध्यान देना चाहिए कि उद्योग विभाग में मेरी पदस्थापना जुलाई 2019 में की गई। जबकि उसके पहले उन्हें किसी तरह का कार्य नहीं दिया गया। अनवर ढेबर और नितेश पुरोहित के चैट को लेकर उन्होंने कहा कि अनवर ढेबर से पुराना परिचय है। उन्होंने शराब के कारोबार में शामिल होने की इच्छा जताई थी, जिसके लिए मैंने प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली। नितेश पुरोहित के बारे में उन्होंने कहा कि वे नितेश को जानते भी नहीं हैं। नितेश पुरोहित से जबरन ईडी के अफसरों ने पहले से टाइप किए हुए बयान पर हस्ताक्षर कराया है। बाद में नितेश पुरोहित ने रायपुर के स्पेशल कोर्ट में दो आवेदन लगाए हैं, जिसमें नितेश पुरोहित ने अनिल टुटेजा को नहीं जानने वाले बात कही थी। उन्होंने चैटिंग में “टी“ का जिक्र करते हुए कहा कि किन्हीं दो लोगों के आपसी संदिग्ध और अपुष्ट चैट के आधार मात्र पर मुझे करोड़ों रुपए मिलने का आरोप पूरी तरह गलत है।

ईडी ने 11 जुलाई 2023 को ईओडब्ल्यू-एसीबी को दिया था प्रतिवेदन

पत्र में ईडी की तरफ से एसीबी को दिए गए प्रतिवेदन का भी जिक्र है। टुटेजा ने लिखा कि 11 जुलाई 2023 को ईडी के दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की गई है। उसी प्रतिवेदन के आधार पर ईडी ने शासन से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 (ए) के तहत विधिवत अनुमति लेकर जांच शुरू की थी। एसीबी ने शिकायत क्रमांक 45/2023 के आधार पर मुझे जांच में अपना पक्ष रखने के लिए 10 अगस्त 2023 को समंस जारी किया था। इसी में ईडी प्रतिवेदन का उल्लेख है। जांच अधिकारी फरहान कुरैशी को मैंने अपना पक्ष रखा था। इसके साथ ही मेरे और मेरे परिवार की सभी संपत्तियों और उनकी कमाई के वैध स्त्रोतों के संबंधित सभी जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। फरहान कुरैशी ने 28 नवंबर को फिर से समंस जारी कर अग्रिम पूछताछ के लिए एसीबी के दफ्तर बुलाया था, जिसके लिए मैं पेश भी हुआ था। तब फरहान कुरैशी ने बताया था कि शिकायत जांच में सभी गवाहों के बयान ले लिए गए हैं। जांच पूरी करने की अंतिम कार्रवाई की जा रही है। हैरानी की बात यह है कि ईओडब्ल्यू की एफआईआर करने वाले अफसर भी फरहान कुरैशी ही हैं।

ईडी ने दर्ज की नई ईसीआईआर 4/2024

ईडी ने कथित घोटाले में नई ईसीआईआर 4/2024 दर्ज की है। इसी की जांच के तहत रिटायर्ड आईएएस टुटेजा को हिरासत में लिया था। नई रिपोर्ट शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी हुई है, जो पूर्व की ईसीआईआर में नहीं था। यही वजह है कि सालभर पहले वाली ईसीआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। नई रिपोर्ट में ईडी अनिल टुटेजा को ही पूरे घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग का मास्टरमाइंड बता रही है। ईडी का कहना है कि सरकार के पॉवरफुल अफसर होने की वजह से उन्होंने सिंडिकेट बनाकर पूरे घोटाले की साजिश रची। इस साजिश में उन्होंने ही कारोबारी अनवर ढेबर और अफसर एपी त्रिपाठी को शराब की मार्केटिंग के लिए बनाए गए कॉर्पोरेशन का एमडी बनवाया था। ईडी ने डेढ़ दर्जन पन्नों में गिरफ्तारी के लिए आधार तैयार किया था। इन पन्नों में ईडी ने बताया है कि शराब घोटाला क्या था? इस में अपराध कैसे हुआ? कैसे मनी लॉन्ड्रिंग की गई? और आखिर में इसमें अनिल टुटेजा की क्या भूमिका थी। ईडी ने अनिल टुटेजा को कथित शराब घोटाले का ‘आर्किटेक्ट ऑफ लिकर स्कैम’ लिखा है। फिलहाल ईडी इस मामले में आरोपी टुटेजा को कोर्ट में पेश करेगी। रविवार होने की वजह से ईडी उन्हें रेगुलर कोर्ट में पेश नहीं कर सकेगी। ऐसे में छुट्‌टी में बैठे जज के कोर्ट में ही उन्हें पेश किया जाएगा। ईडी रिमांड मांगेगी।

पूर्व के पांच में से चार फिर गिरफ्तार, अनवर ढेबर की जमानत याचिका खारिज

ईडी ने पिछले साल अप्रैल में जब केस पर जांच शुरू की तो मई से जून के बीच पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें सबसे पहले कारोबारी अनवर ढेबर थे। इसके बाद कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अधिकारी एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह अगले एक महीने में गिरफ्तार किए गए। अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन और नितेश पुरोहित पिछले साल जुलाई-अगस्त में जमानत में बाहर आ गए। सूबे में जब सरकार बदली तो ईडी की उसी रिपोर्ट EOW ने केस दर्ज कर लिया। 70 लोगों को ब्यूरो ने आरोपी बनाया है। फरवरी में हाईकोर्ट ने एपी त्रिपाठी को जमानत दी, जो करीब 8 महीने जेल में रहने के बाद बाहर आए थे। इसके बाद 2 अप्रैल को हाईकोर्ट ने इस केस के आखिरी आरोपी अरविंद सिंह को जमानत दी। जमानत पर 3 अप्रैल की रात जैसे ही अरविंद बाहर आए, जेल के बाहर EOW की  टीम उन्हें अपने साथ ले गई। दूसरे दिन यानी कि 4 अप्रैल को अनवर ढेबर को भी गिरफ्तार कर लिया गया। हफ्तेभर बाद बिहार से एपी त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया गया। फिर कारोबारी ढिल्लन को भी गिरफ्तार कर लिया गया। पांच में 4 आरोपियों को ईडी के बाद ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया है। अनवर ढेबर की तरफ से गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए जमानत याचिका लगाई गई थी, जिसे स्पेशल कोर्ट में खारिज कर दी गई।

205.49 करोड़ की संपत्ति ED ने की कुर्क

छत्तीसगढ़ में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले की चल रही जांच में अनिल टुटेजा, पूर्व आईएएस, अनवर ढेबर और अन्य से संबंधित 205.49 करोड़ (लगभग) की संपत्ति ईडी ने कुर्क कर ली है।