नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) पर सोमवार को सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची के अनुसार, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की वेकेशन बेंच 20 मई को मामले की सुनवाई करेगी।

‘बिना किसी बहस के पारित किये गए हैं कानून’

इस याचिका में कहा गया है कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई विसंगतियां हैं।वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, “तीनों आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित किए गए। संसद में उस वक्त अधिकांश सदस्य निलंबित थे।”

इसके अलावा, याचिकाकर्ता का कहना है कि तीन कानूनों का टाइटल कानून की व्याख्या के हिसाब से ठीक नहीं है और कानून और उसके मकसद के बारे में नहीं बताता है।

हाल के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विधायिका से भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों में जरूरी बदलाव करने पर विचार करने को कहा था, जिसमें विवाहित महिला पर किसी भी तरह की क्रूरता करने पर पति और उसके परिवार को सजा देने का प्रावधान है।

गौरतलब है कि नई दंड संहिता 1 जुलाई से लागू होनी है। कहा गया है कि नए कानून की धारा 85 और 86 आईपीसी की धारा 498ए की पूरी कॉपी के अलावा और कुछ नहीं है। इस पर विधायिका द्वारा फिर से विचार करने की जरूरत है।