नई दिल्ली। भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के साथ अपने खास संबंध रखने वाले लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या करीब 45 साल पहले की गई थी। जिसका 45 साल बाद खुलासा हुआ है। इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड कोई और था। वह कभी कानून की नजरों में आया ही नहीं। खुलासा खुद मास्टरमाइंड माइकल हेज ने किया है। आयरलैंड की राजधानी डबलिन में रहने वाला हेज 90 साल के हो चुके हैं।

एक ब्रिटिश वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक आयरलैंड में 27 अगस्त, 1979 को हुई लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या के मामले में थॉमस मैकमोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जो आयरिश रिपब्लिक आर्मी (IRA) से जुड़ा था। यह संगठन ब्रिटेन के कब्जे से मुक्त स्वतंत्र देश की मांग कर रहा था। माइकल हेज ने एक ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल को बताया कि माउंटबेटन की हत्या के पीछे थॉमस मैकमोहन नहीं, बल्कि वह था।

उसका कहना है कि ब्रिटेन के लोगों ने उसके देश पर जबरन कब्जा कर रखा था। वे लोगों की हत्याएं कर रहे थे। इसका बदला लेने के लिए उसने माउंटबेटन को मारने का प्लान बनाया और उसे अंजाम दिया।

ब्रिटेन को कड़ा संदेश देना था मेन मकसद

माइकल हेज का कहना है कि आइआरए के कमांडर्स ने सोच-विचार के बाद लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या का फैसला किया, ताकि ब्रिटेन को कड़ा मैसेज दिया जा सके कि वह उत्तरी आयरलैंड पर जबरन कब्जा करने से बाज आए। हत्या का प्लान बनाने और उसे अमलीजामा पहनाने का जिम्मा माइकल हेज को सौंपा गया।

जहाज पर 50 पाउंड के बम से धमाका

माइकल हेज आइआरए की एक बटालियन का कमांडिंग अफसर, जबकि थॉमस मैकमोहन उसका जूनियर कमांडर था। हेज ने बताया कि लॉर्ड माउंटबेटन उत्तरी आयरलैंड को जबरन इंग्लैंड का हिस्सा बनाना चाहते थे। हत्या के लिए उनके मछली पकडऩे वाले जहाज शैडो वी पर 50 पाउंड का बम लगाकर धमाका किया गया।

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