रायपुर। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए ई-वे बिल में दी गई छूट को समाप्त कर दिया है। अब राज्य में 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य के किसी भी सामान के परिवहन के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी है।

बदलाव के पीछे ‘कर चोरी’ है प्रमुख वजह

वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग का कहना ​​है कि ई-वे बिल में दी गई छूट का इस्तेमाल ‘कर अपवंचन’ के लिए किया जा रहा था। देश के अधिकांश राज्यों में पहले से ही राज्य के भीतर माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है। इस बदलाव से छत्तीसगढ़ में भी एक समानता लाने में मदद मिलेगी।

सरकार का यह भी मानना ​​है कि ई-वे बिल के सख्त नियमों से कर अनुपालन में सुधार होगा और राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।

गौरतलब है कि इससे पहले एक जिले के अंदर माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं थी। 15 वस्तुओं को छोड़कर, राज्य के भीतर किसी भी वस्तु के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं थी।

अधिसूचना के मुताबिक यह बदलाव 24 मई, 2024 से लागू हो चुका है। इस बदलाव के बाद अब सभी व्यवसायियों को 50 हज़ार रुपये से अधिक मूल्य के सामानों के परिवहन के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना ही होगा। इसके लिए उन्हें पंजीकरण कराना होगा और परिवहन की जानकारी ऑनलाइन जमा करनी होगी।
कुछ व्यवसायियों को इससे थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह कर अपवंचन को कम करने और कर अनुपालन में सुधार करने में मदद करेगा।

इस तरह ई-वे बिल में छूट को समाप्त करना एक सकारात्मक कदम है, जो कर चोरी को कम करने और राज्य के राजस्व में वृद्धि करने में मदद करेगा।