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शंकर नगर इलाके में 25 एकड़ जमीन दूसरे के नाम कर दी गई। भू-माफियाओं ने बोर्ड का दफ्तर भी नहीं छोड़ा। 2013 में इस कारनामें को अंजाम दिया गया। 3 हजार वर्ग फीट के एक प्लॉट की खरीदी-बिक्री से इस मामले का खुलासा हुआ तो बोर्ड एक्शन में आया। इसी प्लॉट में कब्जा जमाने के लिए पूरी साजिश रची गई थी। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस जमीन का दो बार नामांतरण कर दिया गया। इस पूरे कारनामें को उजागर करती TRP की यह रिपोर्ट...

रायपुर। इन दिनों रायपुर सहित प्रदेशभर में अवैध प्लॉटिंग पर प्रशासन का बुलडोजर चल रहा है। प्रशासन एक्शन में है और कई कॉलोनाइजर्स को राडार में लेकर कार्रवाई कर रहा है। लेकिन, राजधानी में ही भू-माफियाओं ने हाउसिंग बोर्ड के रिकॉर्ड को ही अपने राडार में ले लिया। शंकर नगर इलाके में हाउसिंग बोर्ड की करीब 25 एकड़ जमीन के साथ भू-माफियाओं ने खेला कर दिया और हाउसिंग बोर्ड को इसकी खबर ही नहीं लगी। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह कारनामा 2013 में किया लेकिन अब जाकर इसका खुलासा हुआ है, जब एक छोटे से भूखंड की खरीदी बिक्री की बात सामने आई। जब लोगों ने भूखंड की हकीकत पता की तो मालूम चला कि शंकर नगर हाउसिंग बोर्ड के बेचे गए 5 सौ मकानों का मालिक किसी और को बना दिया गया। इसकी शिकायत हुई तो बोर्ड एक्शन में आया। उसने फौरन उस भूखंड में जाकर उसे अपना बताया। करीब 5 महीने पहले इसकी शिकायत तहसीलदार से भी की गई लेकिन इस पर अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ। तब किसी ने हाउसिंग बोर्ड को इसकी सूचना दी तो जाकर बोर्ड एक्शन में आया। इस मामले के सामने आने के बाद टीआरपी ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि जिस कौशल कुमार सोनी को भू-माफियाओं ने मालिक बनाया है, उसे इस बारे में पता ही नहीं था। टीआरपी ने जब कौशल कुमार सोनी को ढूंढा और उससे इस कारनामें के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है।

टीआरपी ने पड़ताल की तो पता चला कि राजस्व रिकॉर्ड में करीब 25 एकड़ के भू  स्वामी के तौर पर कौशल कुमार सोनी का नाम 2013 में जोड़ा गया। जबकि यह पूरी जमीन हाउसिंग बोर्ड के नाम अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही है। इसके बाद भी राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर इस जमीन का मालिक कौशल सोनी को बना दिया गया। इस पूरी जमीन में से करीब 3 हजार वर्गफीट का एक प्लॉट शौर्य जैन ने खरीदा। राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है कि 2013 में कौशल कुमार सोनी की करीब 25 एकड़ जमीन में से तीन हजार वर्ग फीट जमीन शौर्य जैन के नाम ट्रांसफर हुई है। इसके बाद सबसे बड़ा कारनामा तब किया गया जब 2020 में राज्य सरकार ने फ्री होल्ड की स्कीम लाई। इस कारनामें के तहत जिस जमीन को शौर्य जैन ने कौशल कुमार सोनी से खरीदा था, उसी जमीन को हाउसिंग बोर्ड से 2020 में फ्री होल्ड भी करा लिया। यहां इस पूरे कारनामें के लिए रचे षड्यंत्र का पता चला और इसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। पड़ताल में सबसे बड़ा खुलासा इस बात का हुआ कि पूरा षड्यंत्र उस 3 हजार वर्ग फीट खाली जमीन पर कब्जा करने के लिए ही रचा गया था, क्योंकि कौशल कुमार सोनी के नाम हुई 25 एकड़ जमीन में से केवल 3 हजार वर्ग फीट बेची गई। बाकी जमीन की बिक्री नहीं की गई।

दिसंबर में तहसीलदार से की गई शिकायत

इस षड्यंत्र की शिकायत तहसीलदार रायपुर से दिसंबर 2023 में की गई। शिकायत शौर्य जैन के नाम ही हुई है। शिकायत की कॉपी भी टीआरपी के पास मौजूद है। शिकायत में बताया गया है कि मध्यप्रदेश/ छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के नाम व पक्ष में खसरा नंबर 23/2 (23/3), 124/1 क, 124/1 घ, 124/1 ठ, 124/27, 26/2 और 32 सीट नंबर 5 भूखंड क्रमांक च-छ कुल रकबा 13.32 लाख वर्ग फीट जमीन शंकर नगर, रायपुर में है। शौर्य जैन ने राजस्व अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर परिवर्तित संधारण अभिलेख पेज 89 में कौशल कुमार सोनी पिता मनराखन लाल सोनी, शंकर नगर के नाम पर पक्ष में इन खसरों के शीट नंबर 5 के भूखंड 406 की करीब 31 सौ वर्ग फीट जमीन को वैधानिक कार्यवाही और उचित दस्तावेज के बिना अपने नाम दर्ज करा लिया। इस जमीन की किसी तरह की रजिस्ट्री शौर्य जैन के नाम पर नहीं हुई है। इस शिकायत में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है, लेकिन 5 महीने से इस संबंध में पूरी जांच भी नहीं हो सकी।

31 अगस्त 2013 को कराई रजिस्ट्री, जवाब में कहा – विक्रेता जिम्मेदार

तहसीलदार के पास इस मामले की जांच चल रही है। तहसीलदार की तरफ से नोटिस देकर शौर्य जैन से जवाब देने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने कौशल सोनी से जमीन खरीदी है। 31 अगस्त 2013 को रजिस्ट्री कराई गई थी। उन्हें इस कूटरचना की जानकारी नहीं है। अगर 31 अगस्त 2013 के पहले कूटरचना की गई है तो विक्रेता जिम्मेदार होगा। शिकायतकर्ता के संबंध में शौर्य जैन वकील के माध्यम से लिखित जवाब में कहा है कि जिस आदेश का हवाला दिया जा रहा है उसका मेरी निजी भूमि से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी आदेश के बाद हाउसिंग बोर्ड से भूमि को अपने नाम पर दर्ज कराया गया।

रजिस्ट्री दस्तावेज में भी छेड़छाड़

पड़ताल में यह भी पता चला है कि रजिस्ट्री दस्तावेज में भी छेड़छाड़ की गई है। पूरी रजिस्ट्री के पेपर में कम्प्यूटर टाइपिंग से लिखा गया है लेकिन इसी दस्तावेज में परिवर्तित, शीट नंबर, रकबा हाथ से लिखा गया है। इससे षड्यंत्र का पता चलता है कि राजस्व अफसरों के साथ मिलीभगत कर रजिस्ट्री के बाद इस दस्तावेज में छेड़छाड़ किया गया है। इतना ही नहीं जब भी किसी कम्प्यूटर प्रिंट दस्तावेजों में कोई सुधार किया जाता है तो उसे अटेस्ट और नोटराइज कराया जाता है, लेकिन इन दस्तावेजों में ऐसा कोई भी नोटराइज नहीं कराया गया है।

जमीन को बोर्ड ने लिया कब्जे

जब इस पूरे मामले की भनक हाउसिंग बोर्ड को लगी तो बोर्ड ने अपने स्तर पर जांच शुरू की। बोर्ड के उपायुक्त और सक्षम अधिकारी संदीप साहू ने बताया कि बोर्ड की जमीन को दूसरे के नाम किए जाने की शिकायत मिली है। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर बोर्ड ने सबसे पहले जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके बाद शौर्य जैन और अन्य भू माफियाओं की तरफ से रची गई साजिश की जांच की जा रही है। इस तरह से हाउसिंग बोर्ड की जमीन में किसी भी तरह को षड्यंत्र कर कब्जा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।