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जीपी सिंह की नौकरी वापस मिलते ही जांच टीम में शामिल रहे हवलदार ने बचने का प्लान बना लिया है। जीपी सिंह की जो छवि है, उसके आधार पर कहा जा रहा है कि हवलदार विजय कुमार पांडेय ने जो भी जांच के दौरान किया, उसका सारा जिम्मेदार सीनियर अफसरों को बना दिया। पांडेय ने गृहमंत्री से लेकर मुख्यसचिव को लिखे अपने पत्र में कहा है कि अफसरों ने परिवार को बर्बाद करने की धमकी दी थी। इसलिए वे अब तक चुप थे। इस पत्र के आधार पर एक रिपोर्ट बनाकर TRP अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहा है। पढ़े टीआरपी की रिपोर्ट…
जीपी सिंह की नौकरी वापस मिलते ही जांच टीम के हवलदार का बचाव प्लान, कहा- अफसरों ने परिवार को बर्बाद करने की दी थी धमकी
रायपुर। सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में जेल में गए और आईपीएस की नौकरी से जबरिया रिटायर किए गए जीपी सिंह को राहत मिल गई है। कैट ने उन्हें नौकरी में वापस रखने का आदेश जारी किया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने भी राजद्रोह के मामले में भी उन्हें राहत दे दी है। इन सबके बाद अब जीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को घेरने के दावे किए जा रहे हैं। इन्हीं सबके बीच जीपी सिंह के खिलाफ हुई जांच के दौरान डीसीआरबी रायपुर में रहे एक हवलदार विजय कुमार पांडेय ने गृहमंत्री विजय शर्मा, मुख्यसचिव अमिताभ जैन और गृह विभाग के एसीएस मनोज पिंगुवा को शिकायत भेजी है। इस शिकायत के जरिए उनकी जीपी सिंह के प्रकोप से बचने की प्लानिंग है। हवलदार ने अपनी भूमिका को दूसरों पर डालकर सफाई से इस मामले से निकलने की कोशिश की है। टीआरपी के पास उस पत्र की कॉपी है, जिसमें हवलदार पांडेय ने एसीबी-ईओडब्ल्यू के तात्कालीन निदेशक व डीआईजी आरिफ शेख, तात्कालीन डीएसबी डीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी, तात्कालीन कोतवाली टीआई डीएसपी मोहसिन खान और डीएसबी शाखा के तात्कालीन एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के खिलाफ धमकाने का आरोप लगाया है। एएसआई चंद्रभूषण वर्मा वही है जो महादेव केस में जेल में बंद हैं। पत्र में हवलदार ने लिखा है कि उनकी जानकारी के बगैर उनके हस्ताक्षर से कई दस्तावेज कोर्ट में जमा किए गए। इसके जरिए हवलदार ने यह बताया कि जीपी सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई झूठी थी।
पत्र में हवलदार ने लिखा है कि झूठी कार्रवाई करने की जब उसे जानकारी हुई तो वे अफसरों के पास गए। इस संबंध में जब बात की तो अफसरों ने उसे धमकी दी कि सरकार हमारी है और उच्च पदस्थ सभी अफसर हमारे निर्देश पर काम करते हैं। पुलिस अफसरों ने यह भी सचेत किया कि अगर इस झूठी कार्रवाई के संबंध में मुंह खोला तो परिवार को बर्बाद कर देंगे। एएसआई चंद्रभूषण वर्मा डीसीआरबी शाखा में पदस्थ होकर मेरे प्रभारी थे और मैं उनके अधिनस्थ कार्यरत था, इसलिए उनका विरोध नहीं कर सका। हवलदार ने सभी अफसरों पर कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
अफसरों को बताया आपराधिक प्रवृत्ति का
अपने पत्र में हवलदार पांडेय ने लिखा है कि वह 2 सालों से डर में था। सरकार की व्यवस्था बदलने से मुझे साहस मिला कि अब मेरी सुनवाई होगी। इसकी वजह से शिकायत कर रहा हूं। लेकिन यह भी सच है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ मैं शिकायत कर रहा हूं वे आज भी प्रभावशील हैं। हवलदार ने अफसरों को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया। इस वजह से सुरक्षा की मांग की है।
रायपुर कोतवाली के स्टाफ से मिली जानकारी कि मेरे कूट रचित हस्ताक्षर का उपयोग हुआ
जीपी सिंह के खिलाफ पेश की राजद्रोह की चार्जशीट में अनेकों दस्तावेज पर हवलदार पांडेय के कूटरचित हस्ताक्षर किए गए, इसकी जानकारी उसे रायपुर कोतवाली के स्टाफ से मिली। इसके बाद मुझे चारों अफसरों के दबाव में कोर्ट में बयान देना पड़ा, लेकिन किसी भी दस्तावेज में मैंने हस्ताक्षर नहीं किए। इसके अलावा किसी भी दस्तावेज की जब्ती मेरे द्वारा नहीं की गई है। मैंने इस मामले के किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए। सच यह है कि तात्कालीन टीआई मोहसिन खान ने कोर्ट में मेरे हस्ताक्षर से जिन दस्तावेजों को प्रस्तुत करना बताया, वे मेरे नहीं है। उन दस्तावेजों को मेरे द्वारा हस्ताक्षरित बताकर कोर्ट में षड्यंत्र के साथ चार्जशीट पेश की गई है।
ट्रेनिंग के समय से चंद्रभूषण वर्मा से परिचय, खुद को बताता था सीएम सलाहकार का रिश्तेदार
हवलदार ने अपने पत्र में लिखा है कि चंद्रभूषण वर्मा से उसका परिचय 2005 से है। ट्रेनिंग के समय से उसका परिचय है। वर्ष 2019 में एसीबी-ईओडब्ल्यू में पदस्थ हुआ तब चंद्रभूषण डीसीबी शाखा रायपुर में पदस्थ थे। ऐसे में दोस्ती गहरी हो गई। कार्यालयीन समय के बाद ज्यादातर समय उन्हीं के साथ व्यतीत करता था। इस दौरान उन्हें पता चला कि चंद्रभूषण वर्मा के प्रभावशाली व्यक्तियों, राजनेताओं और उच्च पदस्थ अफसरों से अच्छे संबंध थे। चंद्रभूषण वर्मा खुद को मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा का रिश्तेदार बताता था। वे हर दिन चिप्स दफ्तर में किसी न किसी वरिष्ठ अफसरों से मिलवाने ले जाते थे। जिससे मैं प्रभावित रहता था।