0 ग्राम सभा को अवैध बता रहे ग्रामीण, और अधिकारी बताते रहे सफल…

उदयपुर। सरगुजा के हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक का ‘जिन्न’ लोकसभा चुनाव के बाद फिर से बाहर निकल आया है। यहां PEKB कोल प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के लिए ग्राम घाटबर्रा में आयोजित ग्रामसभा को लेकर ग्रामीणों ने जबर्दस्त विरोध दर्ज कराया है। ग्रामीणों ने सरगुजा कलेक्टर और उदयपुर एसडीएम को पत्र भेजकर इस ग्रामसभा को तत्काल स्थगित करने की मांग करते हुए सवाल किया है कि, जब भूमि अधिग्रहण को ही सहमति नहीं दी गई तो पुनर्वास के लिए ग्रामसभा का आयोजन कैसे हो रहा है।

ग्रामसभा में सहमति नहीं तो कैसे आगे बढ़ गया प्रशासन

मध्य भारत के सबसे समृद्ध वन क्षेत्र हसदेव अरण्य में PEKB कोल ब्लॉक हैं। यह कोल ब्लॉक राजस्थान विद्युत कंपनी को आबंटित है। यहाँ उत्खनन का ठेका अड़ानी कंपनी को मिला हुआ है। इस इलाक़े में जंगल को बचाने की लंबी लड़ाई जारी है। जंगल को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन के प्रमुख आलोक शुक्ला आरोप लगाते हैं कि समूचा तंत्र अड़ानी के आगे घुटनों के बल बैठ गया है। घाटबर्रा के मसले में तो यह विषय है कि, भूमि अधिग्रहण के लिए ही ग्रामसभा ने सहमति नहीं दी है, लेकिन राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण के बाद की प्रक्रिया पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन के लिए ग्रामसभा का आयोजन कर रही है।

सेकंड फेज़ 2028 में शुरू होना था उत्खनन

अडानी की कंपनी को परसा ईस्ट केते बासेन में क़रीब 1841 हैक्टेयर में उत्खनन करना है। इसके दो चरण थे। पहले चरण में क़रीब 900 हैक्टेयर में उत्खनन होता उसके बाद शेष हिस्से में। याने परसा ईस्ट केते बासेन माइनिंग दो फेज़ में होनी थी। काग़‌ज़ों में उल्लेखित है कि, फर्स्ट फेज़ के बाद सेकंड फेज़ की बारी आनी है, और सेकंड फेज़ की बारी सन 2028 में आनी है। लेकिन समय से बहुत पहले ही यह बता दिया गया कि, फर्स्ट फेज़ का कोयला निकाला जा चुका है। कई मौकों पर समय से पूर्व इस कोयला भंडार के खत्म होने को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। अब सेकंड फेज़ के लिए जिस जगह को उत्खनन के दायरे में लाना है उसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला गाँव घाटबर्रा है। इसी घाटबर्रा के ग्रामीणों ने जबर्दस्त विरोध भी किया है और लिखित आवेदन भी दिया है जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों के दस्तखत हैं।

2022 की ग्रामसभा में नहीं बनी सहमति

वर्ष 2022 में जबकि राज्य में भूपेश सरकार थी। घाटबर्रा में भूमि अधिग्रहण के लिए आठ जून को ग्रामसभा आयोजन किया गया था। ग्रामसभा में ग्रामीणों ने उत्खनन का विरोध किया और ग्रामसभा में सहमति नहीं बनी। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही हितबद्ध राज्य सरकार को यह पता चला कि, ग्रामसभा ने सहमति नहीं दी, वह ग्रामसभा निरस्त कराए जाने के पत्र जिला प्रशासन ने जारी कर दिए। लेकिन अब जबकि भूमि अधिग्रहण को लेकर ही ग्रामसभा में विरोध दर्ज है और सहमति नहीं दी गई है। तब भी भूमि अधिग्रहण के बाद की प्रक्रिया जिसे पुनर्वास और पुनर्वव्यस्थापन कहा जाता है उसके लिए ग्रामसभा कराए जाने का आदेश जिला प्रशासन ने दे दिए हैं।

पेसा के नियम के तहत ग्रामसभा सर्वोपरि

यह उल्लेखनीय है कि, घाटबर्रा का मसला भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 की धारा 41 (3) के तहत है। क़ानून की यह धारा स्पष्ट करती है कि, अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा एक्ट 1996 प्रभावी है, याने ग्रामसभा की सहमती अनिवार्य है। यहाँ विरोध में खड़े ग्रामीणों का मसला ही यह है कि, जब भूमि अधिग्रहण के लिए ही ग्रामसभा ने सहमति नहीं दी तो उसके आगे की प्रक्रिया के लिए ग्रामसभा कैसे बुलाई जा रही है।

जिला कलेक्टर विलास भोसकर के आदेश पर इस ग्रामसभा का आयोजन किया गया, जिसमें परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन पर विचार-विमर्श किया गया।

ग्रामसभा की बैठक में सीईओ जनपद उदयपुर वेद प्रकाश गुप्ता, एसडीएम बी आर खांडे, तहसीलदार चंद्रशिला जायसवाल, नायब तहसीलदार आकाश गौतम और पंचायत इंस्पेक्टर विपिन चौहान मौजूद थे। मंच संचालन और कोरम पूरा करने की जिम्मेदारी गांव के सचिव गोपाल राम, सरपंच जयनंदन पोर्ते और ग्रामसभा अध्यक्ष नवल सिंह ने संभाली।

पुलिस के साये में हुई ग्रामसभा को बताया सफल..!

इस ग्रामसभा का जहां एक ओर जमकर विरोध हुआ वहीँ दूसरी ओर बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां पहुंचे हुए थे। यह इलाका पूरी तरह से पुलिस छावनी बना हुआ था, वहीँ गर्मीं यह सवाल भी उठा रहे थे कि ग्रामसभा में अधिकारियों की उपस्थिति का क्या औचित्य। गांव में आज बाहरी लोगों का आना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। हरे-भरे हसदेव को बचाने के लिए ग्रामीण ग्रामसभा का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इन ग्रामीणों ने यहां पहुंचे अधिकारियों का खुलकर विरोध किया और उनका रास्ता भी रोका।

इस मामले में एसडीएम बी आर खांडे का कहना था कि सभा में विरोध करने वाले भी मौजूद रहे, मगर उनके मुकाबले खदान का समर्थन करने वाले ग्रामीणों की संख्या ज्यादा रही। ग्रामीणों ने कुछ मांगें जरूर रही है, जिन्हे प्रशासन के समक्ष रखा जायेगा। खांडे ने दावा किया कि ग्रामसभा में कोरम पूरा हुआ और यहां रखा गया प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ।