रायपुर। राज्य सरकार ने लोकसभा चुनाव के बाद अपनी पहली कैबिनेट में शराब पॉलिसी को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार की कैबिनेट में फैसला लिया गया है कि अब विदेशी शराब खरीदी में बिचौलिया प्रथा खत्म होगी। सरकार ने लाइसेंसी सिस्टम को खत्म कर दिया है। इस फैसले के अनुसार निजी एजेंसियों को दिया गया एफएल 10 लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। अब सिर्फ सरकारी एजेंसी ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन को ही एफएल 10 लाइसेंस मिलेगा। बैठक में विदेशी शराब की थोक खरीदी के लिए लाइसेंसी व्यवस्था को खत्म कर शराब निर्माताओं से सीधे शराब खरीदी करने का निर्णय लिया गया है। इसकी जिम्मेदारी ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन के पास होगी जो शराब खरीदकर आबकारी विभाग को सप्लाई करेगी। अप्रैल 2024 में जिन एजेंसियों को एफएल 10 लाइसेंस दिया गया था, उन सभी को रद्द कर दिया गया है। इसे सरकार की एक और नई नीति के तौर पर देखा जा रहा है। यही नीति सरकार के शराब बेचने की नीति लाने के बाद रमन सिंह सरकार में अपनाई गई थी। अब विष्णुदेव सरकार उसी नीति को फॉलो करने वाली है।

विष्णुदेव साय की सरकार ने सत्ता संभालते ही भूपेश बघेल सरकार में करीब दो हजार करोड़ के कथित शराब घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू से शुरू कराई थी। कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इस वजह से सरकार ने निजी एजेंसियों को बिचौलिए के तौर पर इस्तेमाल करने की बजाए सीधे कॉर्पोरेशन को जिम्मेदारी दी है, जिससे हर महीने करोड़ों के कमीशन पर रोक लग सके। सरकार के साथ-साथ राजनैतिक दलों को भी करोड़ों की कमीशन पहुंचाई जाती थी। इस पर रोक लगाते हुए सरकार ने सीधे शराब खरीदी का फैसला किया है। निजी एजेंसियों मिले लाइसेंस पर रोक लगने से शराब की मनमानी कीमत नहीं बढ़ाई जा सकेगी। शराब के दाम कम होंगे और शराब के उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्वक शराब मिलेगी।

क्या है एफएल-10 लाइसेंस

एफएल-10 लाइसेंस प्राप्त कंपनियां बाजार से शराब खरीद कर सरकार को सप्लाई करती हैं। ये खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का भी काम का अधिकार इस लाइसेंस के तहत कंपनी को मिलता है।

मार्च 2020 से प्राइवेट कंपनियां कर रही हैं शराब की खरीदी

पहले भी बाजार से शराब खरीदने की जिम्मेदारी बेवरेज कॉर्पोरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ के पास थी। मगर मार्च 2020 में इस संस्था से शराब क्रय करने के सारे अधिकार 3 प्राइवेट संस्था को दे दिए गए थे। यानी कि अब प्राइवेट कंपनी ही बाजार से शराब खरीद सकती थी। भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम बेवरेज कॉर्पोरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ करती थी। एक बड़े भ्रष्टाचार की शुरूआत यहीं से होती है।