नेशनल डेस्क। राष्ट्रपति भवन के दो प्रमुख हॉलों का नाम बदलकर ‘दरबार हॉल’ को ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक हॉल’ को ‘अशोक मंडप’ कर दिया गया है। यह बदलाव भारत के गणतंत्र और उसके इतिहास को प्रतिबिंबित करने केउद्देश्य से किया गया है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नाम में हुए बदलाव पर खुशी जाहिर की है।

दरबार हॉल से ‘गणतंत्र मंडप’

‘दरबार हॉल’ ब्रिटिश शासनकाल में बनाया गया था और इसमें उस समय के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक घटनाएं घटित हुई थीं। इसे पहले थ्रोन रूम के नाम से भी जाना जाता था। इस हॉल में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने 15 अगस्त, 1947 को शपथ ली थी। हालांकि, इस हॉल का नाम भारत की गणतांत्रिक भावना को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता था, इसलिए इसे ‘गणतंत्र मंडप’ नाम दिया गया है।

अशोक हॉल से अशोक मंडप

‘अशोक हॉल’ का नाम भारत के प्राचीन सम्राट अशोक के नाम पर रखा गया था, जो उनके शासनकाल की कला और संस्कृति को दर्शाता था। यह हॉल राष्ट्रपति भवन के सबसे आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक है और इसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था। यह हॉल अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों और विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए उपयोग किया जाता है।

जानें कब होता है हॉलों का इस्तेमाल

बता दें कि दरबार हॉल का इस्तेमाल राष्ट्रपति भवन में होने वाले महत्वपूर्ण आयोजन के लिए किया जाता है। राष्ट्रीय सम्मान भी यहीं पर प्रदान किए जाते हैं। वहीं, अशोक हॉल का इस्तेमाल बॉलरूम के तौर पर होता रहा है।