धनबाद। नीट पेपर लीक मामले में पटना की सीबीआई की टीम धनबाद पहुंची। इस टीम ने धनबाद कंबाइंड बिल्डिंग के पास नीट पेपर लीक मामले के अहम आरोपी अविनाश उर्फ बंटी को गिरफ्तार किया है। सीबीआई को यह कामयाबी अनुसंधान के दौरान हाथ लगी है। बता दें, अविनाश उर्फ बंटी नीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार शशि पासवान का चचेरा भाई है। उसकी निशानदेही पर भांट बांध तालाब पहुंचकर यहां से एक बोरी निकाला जिसमें मोबाइल भरकर फेंका गया था।

NDRF की टीम से ली गई मदद
सीबीआई की टीम ने NDRF की टीम से मदद मांगी हालांकि एनडीआरएफ ने आने में काफी देर की, जिसके बाद स्थानीय गोताखोरों की मदद से भांट बांध तालाब में खोजबीन शुरू की गई। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एक सीमेंट का बोरा निकाला गया। इस बोरे से सीबीआई की टीम को एक दर्जन टूटे हुए मोबाइल फोन और दो इंसुलेटर मिला।
गोताखोरों को दिया इनाम
सीबीआई टीम ने सभी मोबाइल फोन की जांच की। जिसमें दो आईफोन के अलावा कई अन्य कंपनियों के मोबाइल फोन शामिल थे। सीबीआई की टीम ने सभी फोन को जब्त कर लिया है। मामले को लेकर सीबीआई ने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। वहीं मोबाइलों को खोजने में स्थानीय गोताखोरों की मदद करने के बाद सीबीआई टीम ने उन्हें 5 हजार रुपये का इनाम दिया। मौके पर सीबीआई टीम और सुदामडीह थाना प्रभारी सूरज कुमार रजक ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

इन्हीं मोबाइल से लीक किये गए थे पेपर
सीबीआई सूत्रों के अनुसार क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट वायरल करने में अविनाश उर्फ बंटी की अहम भूमिका थी। बताया जा रहा है कि बंटी ने एग्जाम के बाद पेपर लीक में इस्तेमाल किए मोबाइल को तालाब में फेंक दिया था। हालांकि उन्हें तालाब में फेंकने के पहले तोड़ा गया था। अब सीबीआई मोबाइल की फोरेंसिक जांच कर डाटा को निकालने की कोशिश करेगी।
सीबीआई के हाथ यह बोरी लग गई है। तालाब में मोबाइल फेंकने वालों ने कम चलाकी नहीं की थी। सभी मोबाइल सीमेंट की एक बोरी में रखकर फेके गए थे। बोरी खोलने पर टूटे हुए मोबाइल फोन और इंसुलेटर मिले, जिसे बोरी में डालकर तालाब में फेंका गया था।
इन टूटे हुए मोबाइल को पानी में रखने से कितना डाटा मिल पाएगा, यह तो फॉरेंसिक जांच के बाद ही पता चलेगा। कहा तो यह जा रहा है कि टूटे हुए मोबाइल बहुत दिनों तक पानी में रहने से उनका डाटा प्रभावित हो सकता है।
55 से 60 लाख रुपये में पेपर देने का हुआ था सौदा
मिली जानकारी के अनुसार बिहार के अभ्यर्थियों ने 35 से 45 लाख रुपये में पेपर खरीदे थे. जबकि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों से 55 से 60 लाख रुपये में पेपर देने की बात तय हुई थी। जांच के दौरान पता चला है कि अभी तक करीब 150 अभ्यर्थियों को क्वेश्चन पेपर मिले थे। इनमें से कुछ का एग्जाम सेंटर झारखंड के हजारीबाग में था तो कुछ के महाराष्ट्र के लातूर जिले में था। वहीं कुछ अभ्यर्थियों के गुजरात के गोधरा और बिहार की राजधानी पटना में एग्जाम सेंटर थे।