0 भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है CGMSCL
रायपुर। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के कामकाज से जुड़ी 2016 से 2022 तक की विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट तैयार की है, इस रिपोर्ट को विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट पर अगर नजर डालें तो स्वास्थ्य विभाग में कई गंभीर खामियां पाई गई हैं। विभाग में करोड़ों के दवाओं की जरुरत से ज्यादा खरीदी और कीमत से कई गुना ज्यादा दर पर उपकरणों की खरीदी और स्टोर में इनका सालों तक पड़े रहना मानो सामान्य सी बात हो गई है। इस रिपोर्ट में सत्र 2016- 2022 तक 33 करोड़ रुपये से ज्यादा की दवाएं एक्सपायर होने और करीब 50 करोड़ के मेडिकल उपकरण अनुपयोगी होने की जानकारी दी गयी है।

स्वास्थ्य अमले की भारी कमी
CAG ने 2016 से 2022 तक जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसके मुताबिक प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में हर वर्ष अरबों रूपये खर्च किये जाने के बावजूद आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करने में सरकारें विफल रही हैं। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के तीन चौथाई जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक तिहाई पद खाली पड़े हैं। सीएचसी में स्पेशल डॉक्टरों के तीन चौथाई पद खाली पड़े हैं।

सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल का हाल बेहाल
राजधानी रायपुर के सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में नियमित कर्मचारियों के 280 पदों में से कुल 9 पद ही भरे गए हैं, और 208 पद संविदा कर्मचारियों से भरे गए हैं। आईसीयू में हर बिस्तर पर एक नर्स नियुक्त होने का अनुपात रहना चाहिए लेकिन वहां 20-20 बिस्तरों पर एक नर्स काम करते पाई गई, और गैरआईसीयू वार्डों में तीन बिस्तरों पर एक नर्स होनी चाहिए थी, जो कि 39 बिस्तरों पर एक नर्स मिली है। आयुर्वेद महाविद्यालयों में भी पद इसी तरह खाली पड़ी हैं, डॉक्टर 30 फीसदी कम हैं, नर्सें 60 फीसदी कम हैं, और बाकी पदों पर भी ऐसा ही हाल है। जिलों में 538 आयुर्वेद औषधालयों में से 130 में कोई चिकित्सक नहीं पाए गए।
CGMSC ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से करीब 24 करोड़ की दवाएं खरीद ली। कोविड के दौरान बिना अनुशंसा 23 करोड़ रुपये की दवाएँ ख़रीदी की गई थी। 838 स्वास्थ्य संस्थानों के पास अपना भवन नहीं है। CGMSC ने 3753 करोड़ रुपये की दवा, उपकरण और अन्य समान खरीदे हैं लेकिन इसमें भारी अनियमितताएँ की गई है।
बेकार पड़े हैं करोड़ों के उपकरण
स्वास्थ्य विभाग के खरीदी करने वाले निगम CGMSCL की कार्यप्रणाली में अब तक सुधार नहीं आ सका है। CGMSCL ने पौने चार हजार करोड़ के दवा, उपकरण और बाकी सामानों की खरीदी में भारी अनियमितता बरती है। जो सैकड़ों टेंडर निकाले गए, उनमें से आधे से अधिक टेंडर दो-दो साल तक फाइनल नहीं किए। 50 करोड़ के उपकरण बिना इस्तेमाल पड़े रहे, शायद उन्हें बिना जरूरत खरीद भी लिया गया था, या उन्हें चलाने के लिए प्रशिक्षित लोग नहीं थे।
500 रु. की बजाय 7,840 रु. के स्टेथोस्कोप की खरीदी
CAG की रिपोर्ट में उल्लेख है कि आयुष संचालनालय से प्राप्त मांगपत्र (4 जून 2018) के आधार पर, सीजीएमएससीएल ने ₹ 7,840 रुपये की दर से मेसर्स सीबी कॉरपोरेशन के साथ स्टेथोस्कोप के लिए निविदा को अंतिमीकृत किया (11 सितंबर 2019) एवं ₹ 4.37 करोड़ की लागत से 5,572 मात्रा क्रय की (सितंबर 2021) गई।

लेखापरीक्षा ने पाया कि आईपीएचएस मानकों के अनुसार राज्य में 243 जिला चिकित्सालय, सिविल चिकित्सालय, सीएचसी एवं एमसीएच के लिए 2,615 स्टेथोस्कोप की आवश्यकता थी। इसके विरूद्ध, डीएचएस ने 5,572 स्टेथोस्कोप की मांग की थी। जिन्हें अंततः CGMSCL द्वारा क्रय किया गया। इसके परिणामस्वरूप ₹ 2.32 करोड़ मूल्य के 2,957 स्टेथोस्कोप का अनावश्यक क्रय हुआ।
लेखापरीक्षा ने आगे पाया कि उपयोगकर्ता विभाग ने ₹ 500 प्रति इकाई की अनुमानित लागत के सामान्य स्टेथोस्कोप की मांग की थी। यद्यपि, इसकी अनदेखी करते हुए एवं क्रय में मितव्ययिता के पहलू को नजरअंदाज करते हुए, CGMSCL ने ₹ 500 की अनुमानित लागत के विरूद्ध ₹ 7,840 प्रति की दर से महंगे आयातित स्टेथोस्कोप क्रय किए थे।
RC की वैधता अवधि को दो-दो साल तक बढ़ा दिया गया..!
CAG ने अपनी जांच में पाया कि उपकरणों एवं दवाओं के क्रय के लिए नई RC (रेट कॉन्ट्रैक्ट) की वैधता अवधि को CGMSCL द्वारा क्रमशः एक वर्ष से दो वर्ष एवं एक वर्ष से 18 महीने तक बढ़ा दिया गया था, सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना वैधता अवधि छः महीने तक बढ़ गई थी।

यह भी पाया गया कि CGMSCL ने सभी मांग की गई दवाओं के लिए आरसी को अंतिम रूप नहीं दिया एवं 2016-22 के दौरान मांग की गई मात्रा के विरुद्ध जिन दवाओं के लिए आरसी को अंतिम रूप नहीं दिया गया था, उनका प्रतिशत 48.82 (2016-17) एवं 63.59 (2018-19) प्रतिशत के मध्य था। इसके परिणामस्वरूप, स्वास्थ्य संस्थानों को 2017-22 के दौरान ₹97.93 करोड़ मूल्य की ईडीएल दवाएं बिना जाँच के स्थानीय क्रय के माध्यम से क्रय करनी पड़ीं।
करोड़ों की दवाएं हो गईं एक्सपायरी
CAG ने पाया कि स्वास्थ्य विभाग की दवा स्टॉक प्रबंधन प्रणाली दोषपूर्ण थी क्योंकि CGMSCL ने अपने गोदामों में उपलब्ध स्टॉक, पिछली खपत प्रवृत्ति एवं भविष्य की आवश्यकता पर विचार किए बिना ही क्रय आदेश जारी कर दिए, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 33.63 करोड़ मूल्य की औषधियां कालातीत हो गई।
रीजेंट की मनमाने दर पर की गई खरीदी
उपकरणों के क्रय के लिए CGMSCL की निविदा मूल्यांकन प्रणाली में गंभीर कमियां थीं क्योंकि इसमें उपकरणों के साथ परीक्षण के लिए आवश्यक रीजेंट की कीमत पर विचार नहीं किया गया था एवं केवल परीक्षण उपकरणों की लागत का मूल्यांकन किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप निविदाएं आमंत्रित किए बिना एवं आपूर्तिकर्ता द्वारा उद्धृत दरों पर उन्हें एकल स्वामित्व वाली सामग्री मानकर ₹ 129.27 करोड़ की लागत वाले रीजेंट क्रय किए गए थे।

करोड़ों की मशीन सालों तक पड़ी रही बेकार
CAG की रिपोर्ट में उल्लेख है कि CGMSCL ने चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रायपुर के लिए पीईटी-सीटी मशीन के संचालन के तौर तरीके को अंतिम रुप दिये बिना पीपीपी मोड पर क्रय किया, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 18.46 करोड़ मूल्य के उपकरण एवं अधोसंरचना निष्क्रिय पड़े रहे, साथ ही नवंबर 2022 की स्थिति में भी उसे आम जनता को सुविधा से वंचित रखा गया।
इसी तरह स्वास्थ्य विभाग ने बायोसेफ्टी कैबिनेट, कैलोरीमीटर एवं माइक्रो पिपेट का क्रय आवश्यकता से अधिक किया था, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 23.09 करोड़ का क्रय बिना आवश्यकता के किया गया, जो कि निष्क्रिय पड़े रहे ।