रायपुर : ग्रीन क्लब, जंतु विज्ञान, वनस्पति और सुक्ष्म जीव विज्ञान विभाग कलिंगा विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के तत्वावधान में स्वच्छ वायु दिवस का आयोजन किया गया। कार्य क्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुई । कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर ने सभी को स्वच्छ वायु के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने का आह्वान किया ।

उन्होंने कहा हम छोटी मोटी दूरी के लिए भी कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों का उपयोग करते हैं इसी तरह आवश्यकता न होने पर भी एसी का प्रयोग उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह के छोटे कदमों से हम एक बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं और अगर हम ऐसा करें तो स्वच्छ वायु और आसमान देखने के लिए हमें कोविड जैसी महाविनाशकारी आपदा की जरूरत नहीं पड़ेगी। जंतु विज्ञान के प्राध्यापक डॉ अजय हरित ने विद्यार्थियों और प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि २०१९ से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई ताकि लोगों को स्वच्छ वायु और आसमान के संदर्भ में जागरूक और प्रेरित किया जा सके।इस अवसर पर निबंध और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है।

विजेता प्रतिभागियों को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड द्वारा नगद राशि और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गयाभाषण प्रतियोगिता में हिदायत उल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आयुष्मान वर्मा और निबंध प्रतियोगिता में कलिंगा विश्वविद्यालय की छात्रा गरिमा अग्रवाल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। निर्णायक मंडल के तौर पर हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ अजय शुक्ला, डॉ पापरी मुखोपाध्याय अंग्रेजी विभाग, और डा ममता पात्रा शाही सुक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के कार्यक्रम में मौजूद थे। कार्य क्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर डा अनिता सांवत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड और विशिष्ट अतिथि के तौर पर आर के शर्मा अभियांत्रिकी अधीक्षक छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड मौजूद थे। डा अनिता सांवत ने मौजूद प्रतिभागियों, प्राध्यापको और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य समाज में पर्यावरण को लेकर जागरूकता पैदा करना है ताकि लोग और विशेष रूप से युवा और नई पीढ़ी पर्यावरण के प्रति अपने दायित्व को समझें । उन्होंने दुष्यंत कुमार की निम्नलिखित कविता के जरिए लोगों को समझाने की चेष्टा की।

हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए।
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, पर्दों की तरह हिलने लगी।
शर्त यह थी कि बुनियाद हिलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में न सही तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन जलनी चाहिए।।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ बहुत तेजी के साथ अपनी और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहा है जिसकी वजह से लगातार कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है उन्होंने कहा कि लौह अयस्क और खनिज से जुड़ी सभी इंडस्ट्री कार्बन मोनो ऑक्साइड को प्रयोग में लाकर कार्बन डाइऑक्साइड को उत्पन्न कर रही है इसलिए बेहतर यही होगा कि हम जल्द से जल्द सतत ऊर्जा के स्त्रोत पर ध्यान केंद्रित करें । और वातावरण और वायु को स्वच्छ बनाए रखें । कार्यक्रम के अंत में उर्वशी शर्मा ने वोलाटाइल आर्गेनिक प्रदुषको के बारे में बताते हुए युवा पीढ़ी को ब्यूटी प्रोडक्ट्स के उपयोग में सावधानी बरतने को कहा । कार्यक्रम का संचालन डॉ सोहिनी भट्टाचार्य ने किया। इस दौरान कलिंगा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ अभिषेक कुमार पाण्डेय, डॉ दीपा विश्वास, डॉ फ़ैज़ बक्स कुमारी अभिस्मिता राय, प्रिया पाल, अब्दुल कादिर समेत कई प्राध्यापक मौजूद थे। कार्यक्रम का प्रायोजन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के सहयोग से किया गया । डॉ मनोज सिंह विभागाध्यक्ष जंतु विज्ञान विभाग ने कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।