टीआरपी डेस्क। सरकार ने मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों पर सख्त कदम उठाते हुए डॉक्टरों को विदेश यात्रा कराने पर रोक लगा दी है। नए नियमों के तहत, कंपनियां अब डॉक्टरों को विदेश में कार्यशालाओं में शामिल होने, वहां ठहरने, खाने-पीने, या घूमने-फिरने का खर्च नहीं उठा सकेंगी। इस कदम का उद्देश्य अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगाना और मरीजों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करना है।
मरीजों पर कम होगा आर्थिक बोझ
सरकार के इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह यह है कि कई डॉक्टर, कंपनियों द्वारा प्रायोजित विदेश यात्राओं के बदले, उन्हीं कंपनियों के महंगे मेडिकल उपकरण मरीजों के लिए लिखते हैं। इससे उपकरणों की लागत का बोझ सीधे मरीजों और उनके परिजनों पर पड़ता है।
सरकार ने बरती सख्ती
फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) ने मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए विदेश में कार्यशालाओं, सेमिनारों या सम्मेलनों के आयोजन और उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाने की सभी प्रथाओं को बंद करें। इसके अलावा, सभी चिकित्सा उपकरण कंपनियों को अपनी मार्केटिंग गतिविधियों के लिए नैतिकता समिति (ईसीएमपीएमडी) का गठन करना अनिवार्य होगा।
सैंपलों की मांग और मार्केटिंग पर नजर
सरकार ने कंपनियों से उनके द्वारा वितरित किए गए चिकित्सा उपकरणों के सैंपलों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, सेमिनारों आदि पर हुए खर्चों का विवरण भी मांगा है। इसी के साथ ही, रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा मान्यता मिलने से पहले किसी भी चिकित्सा उपकरण को बढ़ावा नहीं दिया जा सकेगा।
डॉक्टरों को उपहार और सुविधाएं देने पर भी रोक
अधिसूचना में साफ कहा गया है कि चिकित्सा उपकरण कंपनियां या उनके एजेंट, डॉक्टरों या उनके परिवार के सदस्यों को कोई उपहार या व्यक्तिगत लाभ नहीं दे सकते। साथ ही, डॉक्टरों को सम्मेलनों, सेमिनारों या कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए देश के अंदर या बाहर यात्रा की सुविधा भी प्रदान नहीं की जाएगी।