टीआरपी डेस्क। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साइबर सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा कि साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती, इसलिए सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म यूजर्स को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। यह बयान उन्होंने मंगलवार को I4C (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) के स्थापना दिवस के अवसर पर दिया। शाह ने जोर देते हुए कहा कि बिना मजबूत साइबर सुरक्षा के, देश की प्रगति संभव नहीं है।

5,000 साइबर कमांडो की तैयारी

अमित शाह ने घोषणा की कि सरकार अगले पांच वर्षों में 5,000 साइबर कमांडो तैयार करने की योजना बना रही है। ये कमांडो भारत में बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित होंगे। शाह ने डिजिटल सेक्टर में सिक्योरिटी की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान में भारत में 46 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं, जिससे साइबर सिक्योरिटी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

साइबर स्पेस की सुरक्षा: एक प्राथमिकता

अमित शाह ने कहा कि साइबर स्पेस को सुरक्षित बनाना बेहद आवश्यक है क्योंकि डिजिटल लेनदेन का एक बड़ा हिस्सा भारत में होता है। उन्होंने कहा कि देश की तेज़ प्रगति के लिए साइबर सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। जब तक साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक प्रगति बाधित हो सकती है।

I4C के तहत चार नए प्लेटफार्मों की शुरुआत

इस अवसर पर, अमित शाह ने I4C के तहत चार नए प्लेटफार्मों का उद्घाटन किया, जो देश में साइबर अपराधों से निपटने के लिए बनाए गए हैं। I4C, जिसे 2018 में गृह मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था, राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक कोऑर्डिनेशन सेंटर के रूप में काम करता है। इसका मुख्य उद्देश्य लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों की क्षमताओं को बढ़ाना और साइबर अपराधों से जुड़े मामलों का समाधान करना है।

सभी एजेंसियों की संयुक्त जिम्मेदारी

अमित शाह ने कहा कि साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती, इसलिए सभी एजेंसियों और संगठनों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। साइबर सिक्योरिटी न केवल सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और अखंडता के लिए भी आवश्यक है। इससे पहले सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर भी साइबर सिक्योरिटी को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।